प्रभाष जोशी : जिन्होंने अख़बारों में छप रही हिंदी को बनावटी से खांटी देसी बनाया

आज देश में एक से छह नंबर तक जो हिंदी अखबार छाए हैं उनकी भाषा देखिए जो अस्सी के दशक की भाषा से एकदम अलग है। प्रभाष जी का यह एक बड़ा योगदान है जिसे नकारना हिंदी समाज के लिए मुश्किल है। ● शंभूनाथ शुक्ल आज प्रिंट मीडिया में सिरमौर रहे जनसत्ता अख़बार के संस्थापक […]

‘प्रोपेगंडा संघ’ के निशाने पर क्यों रहते हैं पंडित नेहरू

● आलोक शुक्ल पंडित नेहरू, जिन्होंने सुख समृद्धि से भरा जीवन मुल्क की आजादी के नाम कुर्बान कर दिया। जवानी आन्दोलनों, जेल यातनाओं के हवाले और चौथापन एक उजड़े लुटे-पिटे देश को बनाने, सजाने सँवारने में होम कर दिया। 1947 में भारत की आजादी के वक्त दुनिया के अधिकतर राजनयिक विश्लेषक घोषणा कर रहे थे […]

भगतसिंह के नायक नेहरू, आधुनिक भारत के ‘प्रोमेथिअस‘

● कनक तिवारी वेस्टमिन्स्टर प्रणाली का प्रशासन, यूरो-अमेरिकी ढांचे की न्यायपालिका, वित्त और योजना आयोग, बड़े बांध और सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने, ​शिक्षा के उच्चतर संस्थान, संविधान के कई ढके मुंदे दीखते लेकिन समयानुकूल सैकड़ों उपक्रम हैं जिन्हें बूझने में जवाहरलाल की महारत का लोहा मानना पड़ता है। नेहरू भारतीय समस्याओं के प्रवक्ता थे। गांधी […]

वे सूरतें किस देश बसतियां हैं?

● कनक तिवारी  भगतसिंह भारतीय समाजवाद के सबसे कम उम्र के चिंतक हैं। विवेकानंद, गांधी, जयप्रकाश, लोहिया, नरेन्द्रदेव, सुभाष बोस, मानवेन्द्र नाथ राय और जवाहरलाल नेहरू वगैरह ने समाजवाद शब्द का उल्लेख उनसे बड़ी उम्र में किया। भारतीय क्रांतिकारियों के सिरमौर के रूप में चंद्रशेखर आजाद से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गए भगतसिंह पंजाबी, संस्कृत, […]

गांधी के हर संघर्ष में उनकी सहभागी रहीं कस्तूरबा

आज 22 फरवरी का दिन ‘बा’ की जयन्ती है। ‘बा’ यानी महात्मा गांधी की सहधर्मिणी कस्तूरबा गांधी। जिन्होंने गांधी जी का साथ हर परिस्थिति में जीवन पर्यन्त दिया। आजादी की लड़ाई रही हो या बापू द्वारा चलाए गए अछूतोद्धार अथवा दूसरे सामाजिक कार्यक्रम, ‘बा’ कभी पीछे नहीं रहीं। ‘बा’ को जयंती पर नमन। ● सतीश […]

शरीर भस्म हो गया, पर नहीं जलीं कस्तूरबा गांधी की पांच चूड़ियाँ

● रेहान फ़ज़ल महात्मा गांधी बंबई के शिवाजी पार्क में एक बहुत बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाले थे कि उससे एक दिन पहले 9 अगस्त 1942 को उन्हें बंबई के बिरला हाऊस से गिरफ़्तार कर लिया गया। गांधी की गिरफ़्तारी के बाद सबसे बड़ा सवाल उठा कि उस सभा का मुख्य वक्ता कौन होगा? […]

पूर्वांचल के विकास पुरुष वीर बहादुर सिंह

गोरखपुर जैसे कस्बाई शहर को विश्व पटल पर स्थापित करने का सपना पाले वीरबहादुर सिंह द्वारा शुरू की गई अनेक परियोजनाओं का अभी तक अधूरापन यहां के राजनीतिक नेतृत्व को जोर जोर से झिझोड़ रहा है। उनका सपना था कि गोरखपुर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढे। किसान-मजदूर खुशहाल हो। नौजवान के हाथ में काम […]

स्वातंत्र्य समर के अग्निनायक सुभाष चन्द्र बोस

एक गुलाम, दहशतजदा कौम की धमनियों में लावा भरना असम्भव कार्य था जो सुभाष बाबू ने कर दिखाया। उस मैदान पर खड़े होने से भुरभुरी होती है। लगता है जैसे भारतवासी होना अन्तरराष्ट्रीय गौरव की बात है।  ● कनक तिवारी / कृष्ण कांत  आज देश नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। […]

हसरत मोहानी : इश्क़ की तहजीब से इंक़लाब के एलान तक

हसरत मोहानी, एक ऐसा मकबूल शायर जिसकी ज़िंदगी इश्क़ और इंक़लाब के बीच बसर हुई। मादर-ए-वतन से बेपनाह मोहब्बत करने वाले मोहानी ने ‘चुपके-चुपके रात-दिन आंसू बहाना याद है’, जैसी मशहूर ग़ज़ल लिखी तो ‘इंकलाब-जिंदाबाद’ जैसा कालजयी नारा गढ़ा। मोहानी उन लोगों में से नहीं थे जो किसी सांचे में ढल पाते, उन्होंने वक्त का […]

सरदार पटेल : जिन्होंने राजाओं को ख़त्म किए बिना ख़त्म कर दिए रजवाड़े

● रेहान फ़ज़ल ऑल इंडिया रेडियो ने अपने 29 मार्च, 1949 को रात के 9 बजे के बुलेटिन में सूचना दी कि सरदार पटेल को दिल्ली से जयपुर ले जा रहे विमान से संपर्क टूट गया है। अपनी बेटी मणिबेन, जोधपुर के महाराजा और सचिव वी शंकर के साथ सरदार पटेल ने शाम पाँच बजकर […]

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