राम मंदिर निर्माण के नाम पर वसूले गये चंदे के पैसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ महंत धर्मदास ने दर्ज़ कराया केस

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अयोध्या में बन रहे राममंदिर के निर्माण में लगे ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है। मामले में इस बार अयोध्या के संत धर्म दास ने मुकदमा दर्ज कराया है।

● पूर्वा स्टार ब्यूरो 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिये वसूले गए चंदा की रकम में भ्रष्टाचार को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए मंदिर ट्रस्ट और उससे जुड़े लोगों की परेशानी नित्य बढ़ती जा रही है। ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद कोई कार्रवाई न होने से आरएसएस और सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

ताजा मामला यह है कि राम मंदिर मामले में हिंदू पक्ष के पक्षकार रहे धर्म दास ने पुलिस में शिक़ायत की है कि राम मंदिर निर्माण के लिए जो धन एकत्रित हुआ है, ट्रस्ट उसका दुरुपयोग कर रहा है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हनुमान गढ़ी मंदिर के द्रष्टा महंत धर्म दास ने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय, सभी ट्रस्टियों, अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीपनारायण उपाध्याय और फ़ैज़ाबाद तहसील के सब-रजिस्ट्रार के ख़िलाफ़ पुलिस में शिक़ायत दर्ज़ कराई है।

धर्म दास दिवंगत महंत राम अभिराम दास के शिष्य हैं, जिन्होंने कथित तौर पर 22 दिसंबर, 1949 की मध्यरात्रि को विवादित ढांचे के अंदर मूर्तियों को रखा था। साथ ही वो राम मंदिर आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा और राम जन्मभूमि शीर्षक मुकदमे में हिंदू पक्ष के मुख्य वादियों में से एक हैं|

अपनी शिक़ायत में महंत ने राम मंदिर के लिए ज़मीन की ख़रीद फ़रोख्त में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और नजू़ल की ज़मीन ख़रीदने के लिए भगवान राम के भक्तों द्वारा दी गई राशि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

गौरतलब है कि नजूल ज़मीन ऐसी ज़मीनें हैं, जिन्हें ख़रीदने और बेचने का अधिकार सिर्फ़ सरकार के पास है। महंत धर्म दास की ओर से की गई इस शिक़ायत के बाद राम लला के मंदिर निर्माण के लिए ज़मीन का विवाद फिर से तेज हो गया है।

उन्होंने मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और राम मंदिर निर्माण के लिए दान किए गए धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। दास ने अपनी शिकायत में फैजाबाद के सब-रजिस्ट्रार एस.बी. सिंह को आरोपी बनाया है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उप-पंजीयक के कार्यालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि नजूल ज़मीन दो बार बेची गई। यह कैसे संभव है? महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने 676 वर्ग मीटर के इस भूखंड को फरवरी में 20 लाख रुपये में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण को बेच दिया था। दीप नारायण ने मई में इसे ट्रस्ट को 2.5 करोड़ रुपये में बेच दिया। डीएम सर्किल रेट के अनुसार, इस जमीन का मूल्य लगभग 35 लाख रुपये है।

उन्होंने गोसाईगंज (अयोध्या) के भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी और ट्रस्टी अनिल मिश्रा को भी सौदे में गवाह होने के रूप में नामित किया है। साथ ही उन्होंने चंपत राय को सचिव पद से हटाने और ट्रस्ट की जिम्मेदारी अयोध्या के संतों को सौंपने की मांग की है।

इसके अलावा रामदास ने कहा कि सरकार को मंदिर निर्माण में शामिल नहीं होना चाहिए। वहीं कैंप कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने कहा, यदि यह नजूल भूमि है, तो पुलिस नहीं, नजूल अधिकारियों के पास शिक़ायत दर्ज़ की जानी चाहिए थी। हमने ज़मीन ख़रीदी और भुगतान किया, फिर इसमें भ्रष्टाचार कहां से आ गया?

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