यूपी : आसान नहीं है ओवैसी के लिए यूपी की चुनावी डगर

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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का खेल बिगड़ने के बाद बंगाल चुनाव में ममता के हाथों शिकस्त खा चुके एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अब यूपी में एंट्री मारी है। करीब छह माह बाद होनेवाले राज्य विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन कर 100 मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर सियासी तूफान पैदा करने वाले ओवैसी की यूपी में चुनावी राह उतनी आसान नहीं दिख रही है। कांग्रेस उन्हें हर कदम पर शिकस्त देने की कोशिश में है। जिसमें उसे सफलता मिलती भी दिख रही है।

● आलोक शुक्ल

प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अब सिर्फ छह-सात माह का वक्त बचा है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में जुटी हुई हैं। सत्ताधारी बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा अपनी अपनी फील्डिंग सजाने में लगी हैं। कोई भी दल जरा सा भी कोर कसर छोड़ना नहीं चाहता। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर अपने एंट्री की घोषणा कर दी है। लेकिन, यूपी में उनकी राह आसान नहीं दिख रही है। एक तरफ वे अपनी पार्टी का सांगठनिक ढांचा खड़ा करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ से कांग्रेस उनकी पार्टी तोड़ कर उनकी राह में दुस्वारियां खड़ी करने में लगी है। अब देखना यह है कि ओवैसी इस संकट से कैसे पार पाते हैं।

सूबे की सियासत में एक्टिव रूप से एंट्री मारकर हलचल मचा देने वाले एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी में भाजपा से नाराज होकर अलग हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया। उनके इस कदम ने विपक्षी दलों के सामने नई चुनौती पेश की है।

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर विपक्षी दलों के सामने चुनौती पेश करने वाले ओवैसी के सामने अब चुनाव से पहले अपने संगठन को बचा लेने की चुनौती आ खड़ी हुई है।

सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के साथ ओवैसी पिछले दिनों पूर्वी यूपी के आजमगढ़, बनारस, बहराइच और पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद गये। इससे कोरोना काल में ठंडा पड़ा राज्य का सियासी पारा एकबारगी बढ़ गया। मुस्लिम वोटों के बिखराव के डर से विरोधी दलों की सक्रियता बढ़ गई। क्योंकि सभी को पता है कि ओवैसी को जाने वाला हरेक वोट कांग्रेस और सपा, बसपा को जबरदस्त नुकसान पहुंचाएगा और इससे सत्ताधारी बीजेपी को फायदा होगा।

एआईएमआईएम में सेंध लगा रही कांग्रेस

असदुद्दीन ओवैसी यूपी की जिन जिलों में उम्मीदवार उतारने वाले हैं वहां वे पार्टी का संगठन खड़ा करने में लगे हैं। जबकि कांग्रेस एआईएमआईएम के पदाधिकारियों को तोड़कर झटके पर झटके दे रही है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी यूपी के मुस्लिम इलाकों में सदस्यता अभियान चला रही है। पार्टी सदस्यता लेने वाले सदस्यों और पदाधिकारियों से फार्म भरवा कर वफादारी का शपथ पत्र ले रही है। लेकिन बनारस में ये शपथपत्र उनके किसी काम नहीं आया।

पार्टी के वफादारी के सर्टिफिकेट के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में बनारस में ओवैसी की पार्टी के विकेट गिराकर उन्हें बड़ा झटका दिया है। एआईएमआईएम की पूरी बनारस जिला कमेटी ने कांग्रेस में विलय कर लिया। इस विलय की अगुआई कर रही अल्पसंख्यक कांग्रेस ने अब शाहजहांपुर समेत अन्य जिलों में भी एआईएमआईएम को तोड़ने की कवायद शुरू कर दी है।

जब तक ओवैसी चुनाव लड़ने के बारे में सोचेंगे तब तक उनकी पूरी पार्टी कांग्रेस में ही मिल जाएगी।

शाहनवाज आलम, चेयरमैन, यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस

बनारस में एआईएमआईएम छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वाले पदाधिकारी

एआईएमआईएम के प्रदेश सचिव अमान अख्तर के नेतृत्व में जाहिद खान (बनारस जिला अध्यक्ष), कैंसर जहां (महिला जिला अध्यक्ष), माजिद सिद्दिकी (जिला संगठन मंत्री), आरिफ सिद्दीकी (मीडिया प्रभारी), मोइनुद्दीन अंसारी (जिला सचिव), तौफीक आलम (जिला सचिव यूथ), अब्दुल कवि (कैंट विस क्षेत्र अध्यक्ष), आफताब अहमद (जिला सचिव), मकसूद शाह (अजगरा विस अध्यक्ष), दिलशाद अहमद (जिला कार्यकारिणी), इकबाल कुरैशी (जिला कार्यकारिणी), शानू जकी (जिला सचिव), मेहंदी हसन (मंडल प्रभारी अल्पसंख्यक सभा), जुबैर खान (अल्पसंख्यक सभा), आकाश पांडेय (कार्यकारिणी सदस्य अल्पसंख्यक सभा), अमानतुल्लाह खान (जिला कार्यकारिणी), खुर्शीद खान (जिला कार्यकारिणी सदस्य), अनवार अहमद (जिला सचिव यूथ) आदि डेढ़ दर्जन से ज्यादा पदाधिकारियों समेत पूरी जिला इकाई का कांग्रेस में विलय कर लिया।

यूपी से खत्म कर देंगे ओवैसी की पार्टीः शाहनवाज आलम

एआईएमआईएम में यह सेंध उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने लगाया है। आलम कहते हैं कि आने वाले दिनों में एआईएमआईएम का यूपी से पूरा सफाया हो जाएगा। एआईएमआईएम के एक-एक जिले के पदाधिकारी संपर्क में हैं। इन सभी का कांग्रेस में विलय कराया जाएगा। बकरीद के बाद तक उत्तर प्रदेश से ओवैसी की पार्टी को पूरी तरह खत्म कर देंगे। उसका कोई नामलेवा नहीं रह जायेगा।

शाहनवाज आलम, चेयरमैन, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस

शाहनवाज आलम कहते हैं कि ओवैसी की पार्टी के नेता समझ चुके हैं कि उनके पतंग की डोर मोदी और योगी के हाथ है। ऐसे में वह अब कांग्रेस के साथ आ रहे हैं। बनारस में पूरी टीम का विलय हो गया है और अब अगला कदम शाहजहांपुर है। इसके बाद सभी जिलों से ओवैसी की पार्टी तोड़कर कांग्रेस से जोड़ ली जाएगी।

उन्होंने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ओवैसी को जनाधार वाला नेता बताते हैं, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। मुसलमान सब समझता है कि यूपी में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भाजपा में उनका हित नहीं है। उनका भला कांग्रेस में ही है।

एआईएमआईएम नेता को नहीं है जानकारी

राज्य में एआईएमआईएम का कोई नेता बनारस में पार्टी पदाधिकारियों के एकमुश्त कांग्रेस में शामिल होने पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। ईटीवी भारत के मुताबिक पार्टी नेता आसिफ बकार ने कहा है कि उन्हें किसी भी जिला इकाई के कांग्रेस में विलय या लोगों के पार्टी छोड़ने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई कांग्रेस पार्टी में गया है तो वह पूर्व पदाधिकारी होगा। वर्तमान पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं का विश्वास पार्टी में बना हुआ है।

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