धार्मिक भावनाओं से ज्यादा अहम है जीवन का अधिकार : कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा काँवड़ यात्रा को मंजूरी देने पर सख्त सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि यदि राज्य सरकार इस यात्रा के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने में नाकाम रही तो उसे आदेश जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कांवड़ यात्रा के मामले पर केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर इसे अनुमति न दिये जाने की बात कही है।
● पूर्वा स्टार ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, अन्य सभी भावनाएं चाहे वे धार्मिक हों, इस मूल मौलिक अधिकार से कम अहम हैं। इसलिए वो COVID-19 के मद्देनजर राज्य में “प्रतीकात्मक” कांवड़ यात्रा भी न आयोजित करने पर विचार करे। शीर्ष अदालत ने कांवड़ यात्रा को अनुमति देने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को ”एक और मौका” दिया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अदालत को बताया, “यूपी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि यात्रा करने वालों का पूरी तरह से टीकाकरण किया जाना चाहिए। गंगाजल को टैंकरों में रखा जा रहा है।”
इस पर, जस्टिस आरएफ नरीमन ने कहा, “हम सभी भारत के नागरिक हैं। आर्टिकल 21- जीवन का अधिकार – सभी पर लागू होता है। यूपी फिजिकल यात्रा के साथ आगे नहीं बढ़ सकता। 100 प्रतिशत।”
कोर्ट ने कहा है कि अगर योगी आदित्यनाथ सरकार इस यात्रा के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने में नाकाम रही तो उसे आदेश जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
केंद्र ने अपने हलफनामे में क्या कहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का बुधवार को स्वत: संज्ञान लिया था। उसने केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों से इस मामले पर जवाब मांगा था।
इसके बाद, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि COVID-19 महामारी को देखते हुए राज्य सरकारों को, हरिद्वार से गंगाजल को अपनी पसंद के शिव मंदिरों में लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
इसके आगे केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा, ”हालांकि, सदियों पुराने रीति-रिवाजों और धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकारों को पवित्र गंगाजल को टैंकरों के जरिए उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो कि चिह्नित/ निर्दिष्ट जगहों पर उपलब्ध होनी चाहिए ताकि आस-पास के भक्त गंगाजल एकत्र कर सकें और अपने निकटतम शिव मंदिर पर अभिषेक कर सकें।”
हलफनामे में कहा गया कि राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भक्तों के बीच गंगाजल के वितरण की इस कवायद और भक्तों द्वारा पास के शिव मंदिरों में किए जाने वाले अनुष्ठानों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और COVID उपयुक्त व्यवहार के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने COVID-19 की संभावित तीसरी लहर का खतरा जताए जाने के बावजूद 25 जुलाई से यात्रा की मंगलवार को अनुमति दे दी। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने महामारी के मद्देनजर कांवड़ यात्रा रद्द कर दी है।