बंगाल : बीजेपी में भगदड़, मुकुल रॉय के बाद अब बाबुल सुप्रियो के पार्टी बदलने के कयास
पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से टॉलीगंज विधानसभा सीट से चुनाव में उतारा गया था। लेकिन वो विधानसभा चुनाव हार गए थे।
● पूर्वा स्टार ब्यूरो
बंगाल में टीएमसी के हाथों पराजित होने के बाद बीजेपी में भगदड़ सी मची हुई है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय पहले ही तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। अब आसनसोल से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। एक तरफ जहां केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद यह चर्चा है कि वो राजनीति से सन्यास ले लेंगे, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वो टीएसमी के संपर्क में हैं। उन्होंने ट्विटर पर मुकुल रॉय और टीएमसी को फॉलो करना भी शुरु कर दिया है।
गायक से नेता बने बाबुल सुप्रियो ने कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद फेसबुक पर अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए लिखा था कि जिस तरह से उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया वह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा था कि इस्तीफा देने का निर्देश मिला तो इस्तीफा दे दिया।
गौरतलब है कि सुप्रियो के इस्तीफे के बाद बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी गुस्से का इजहार किया था। बताते चलें कि बाबुल सुप्रियो और ममता बनर्जी के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे हैं। लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक उन पर और उनके समर्थकों पर बंगाल में कई बार हमले हुए थे।
विधानसभा चुनाव में मिली थी हार
बाबुल सुप्रियो को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से टॉलीगंज विधानसभा सीट से चुनाव में उतारा गया था। लेकिन वो विधानसभा चुनाव में हार गए थे। विधानसभा चुनाव में उन्हें भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था।
बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से बीजेपी में भगदड़ मची हुई है। कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष की भी कई नेताओं ने जमकर आलोचना की है। पार्टी के कई नेता केंद्र में मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर भी नाराज हैं।
प्रदेश अध्यक्ष घोष ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें विभिन्न बयानों से अवगत कराया, जो सार्वजनिक रूप से दिए गए, किस प्रकार उन्होंने बिना सोचे समझे बयान दिया। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है और इसे रोका जाना चाहिए। जो बयान पार्टी के अंदर दिए जाने चाहिए थे, वे सार्वजनिक रूप से दिए गए।’’