लोकतन्त्र की सेहत के लिए यह ठीक नहीं है
● धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव
दबंगों का लठैत जब किसी अबला की इज्जत लूट लेता है तो उसे लेकर लोग चीखते हैं। इसे लेकर कमजोरों में गुस्सा बढ़ता है तो दंबगों की ओर से यही कहा जाता है कि जवानी की उत्साह में लड़का गलती कर गया है। वह पहचान नहीं पाया कि जिसकी इज्जत वह लूट रहा है, वह अपने खास आदमी की बेटी है। अब पहचान लिया है। आगे ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
इस न्याय के बाद भरी पंचायत में लूटी गई लड़की बोलती है कि वह मुझे नहीं पहचानते थे, इसलिए इज्जत लूट लिए। मेरी पहचान उजागर होने के बाद उन्होंने मुझसे माफी मांगी है, मेरे परिवार से माफी मांगी है। कहा है कि आगे ऐसा नहीं होगा। इसलिए मैं उसे माफ करती हूँ।
इसी न्याय के साथ लड़की लड़के को मिठाई खिलाती है, लड़का लड़की को मिठाई खिलाता है, पंच दावत खाते हैं और मामला समाप्त हो जाता है।
जो लोग यह कहने के लिए लड़की को कोस रहे हैं, मिठाई खाने और खिलाने के लिए लड़की को कोस रहे हैं, उसके परिवार को कोस रहे हैं, उन्हें यह मुहावरा याद रखना चाहिए कि पानी में रहना है तो मगर से बैर नहीं करना है।
इसी मुहावरे को जीने की वजह से दागी न्यायालयों से छूट जाते हैं। यहां भी छूट गया तो कौन सा पहाड़ गिर गया? वर्तमान में कलम की स्थिति भी कमजोर की बेटी जैसी है। इसलिए वह माफ करने के सिवाय कर भी क्या सकती है?
धृतराष्ट को दिखायी नहीं देता है, इसलिए वह इज्जत लूट का वायरल वीडियो देख ही नहीं सकते। दुःशासन ने यह कृत्य कर युवराज दुर्योधन का आदेश पूरा किया है। शेष हस्तिनापुर के लोग सिंहासन से बंधे हैं।
अगर आप इस व्यवस्था और इस न्याय के समर्थक हैं तो मुझे आपसे कुछ नहीं कहना है। मुझे अन्धे धृतराष्ट्र से भी कुछ नहीं कहना है। मुझे लोकतन्त्र का चीरहरण करने वाले दुःशासन या दुःशासनों से भी कुछ नहीं कहना है।
मुझे चुप बैठे लोगों से जरूर कहना है कि कलम की सरेआम पिटाई लोकतन्त्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है। और हाँ ! कलम के जो सपूत, कलम संगठनों के जो सरदार इस इज्जत लूट सेटलमेंट में शामिल हैं, उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।