बीजेपी शासित सूबों में विरोध के स्वर, मोदी के लिए बनी चुनौती

Read Time: 3 minutes

यूपी में जो माहौल है वो जगजाहिर है। सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली में आकर पीएम और गृह मंत्री से मुलाकात कर चुके हैं। केंद्र की टीम लखनऊ में डेरा जमाकर बैठी है लेकिन फिर भी बीच का रास्ता नहीं निकल पा रहा है। मोदी-शाह की सबसे बड़ी मुश्किल है कि योगी उनके लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं।

● पूर्वा स्टार ब्यूरो

बंगाल चुनाव में मिली हार के बाद पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी को सूबों से चुनौती मिलने लगी है। बीजेपी शासित सूबों में जो विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं वो दिल्ली दरबार की चिंता बढ़ाने के लिए काफी हैं। सबसे मुश्किल ये है कि विरोध केवल हिंदी भाषी राज्यों में नहीं है बल्कि दक्षिण तक पहुंच चुका है।

यूपी में जो माहौल है वो जगजाहिर है। सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली में आकर पीएम और गृह मंत्री से मुलाकात कर चुके हैं। केंद्र की टीम लखनऊ में डेरा जमाकर बैठी है लेकिन फिर भी बीच का रास्ता नहीं निकल पा रहा है।

मोदी-शाह की सबसे बड़ी मुश्किल है कि योगी उनके लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर योगी फिर से जीते तो मोदी के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।

क्योंकि हिंदू नेता के तौर पर योगी इस समय भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं। केंद्रीय नेतृत्व की यूपी में पैठ जमाने की तमाम कोशिशों को वो धता बता रहे हैं।

चिंता का सबब केवल इतना ही नहीं है। कर्नाटक में भी सीएम येदियुरप्पा केंद्रीय नेतृत्व को आंखें दिखा रहे हैं। वहां एक धड़ा उनकी खिलाफात में सामने आ चुका है। केंद्रीय नेतृत्व चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा, क्योंकि सीएम लिंगायत समुदाय के बड़े नेता हैं। उन्हें नाराज करने का मतलब होगा इस समुदाय को नाराज करना। कर्नाटक बीजेपी के लिए अहम इस वजह से भी है क्योंकि दक्षिण में ये अकेला राज्य है जहां बीजेपी अपने दम पर खड़ी है।

पीएम के गृह जिले गुजरात के हालात भी ठीक नहीं हैं। वहां सीएम विजय रूपाणी और पार्टी अध्यक्ष सीआर पाटिल के बीच सिर फुटौव्वल चल रही है।

पाटिल को मोदी का नजदीकी माना जाता है। कोरोना मामले पर सीएम के साथ उनकी तनातनी अब जगजाहिर हो चुकी है। केंद्रीय नेतृत्व के लिए ये बड़ी चिंता का सबब है। दोनों की तनातनी में गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल अपने लिए मौका तलाश रहे हैं। वो सीएम बनने के लिए गुणाभाग कर रहे हैं।

उधर, गोवा में बीजेपी के नेता और सीएम प्रमोद सावंत के खिलाफ उनकी ही कैबिनेट ने मोर्चा खोल रखा है। गोवा में भी उत्तर प्रदेश के साथ अगले साल चुनाव होना है। केंद्र ने वहां के हालात सुधारने का जिम्मा बीएल संतोष को दिया है। नतीजा देखना रोचक होगा।

बंगाल में हार के बाद किस तरह की भगदड़ बीजेपी में मची है, ये बात जगजाहिर हो चुकी है। बीजेपी चाहकर भी अपने लोगों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। त्रिपुरा में भी हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी हालात ठीक नहीं हैं। बंगाल से मात खाकर लौटे कैलाश विजय वर्गीय के बारे में कहा जा रहा है कि वो शिवराज को हटाकर खुद सीएम बनने के जुगाड़ में हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related

माफीनामों का ‘वीर’ : विनायक दामोदर सावरकर

Post Views: 164 इस देश के प्रबुद्धजनों का यह परम, पवित्र व अभीष्ट कर्तव्य है कि इन राष्ट्र हंताओं, देश के असली दुश्मनों और समाज की अमन और शांति में पलीता लगाने वाले इन फॉसिस्टों और आमजनविरोधी विचारधारा के पोषक इन क्रूरतम हत्यारों, दंगाइयों को जो आज रामनामी चद्दर ओढे़ हैं, पूरी तरह अनावृत्त करके […]

ओवैसी मीडिया के इतने चहेते क्यों ?

Post Views: 153 मीडिया और सरकार, दोनो के ही द्वारा इन दिनों मुसलमानों का विश्वास जीतने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें सही समय पर बताया जा सके कि उनके सच्चे हमदर्द असदउद्दीन ओवैसी साहब हैं। ● शकील अख्तर असदउद्दीन ओवैसी इस समय मीडिया के सबसे प्रिय नेता बने हुए हैं। उम्मीद है […]

मोदी सरकार कर रही सुरक्षा बलों का राजनीतिकरण!

Post Views: 99 ● अनिल जैन विपक्ष शासित राज्य सरकारों को अस्थिर या परेशान करने के लिए राज्यपाल, चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आदि संस्थाओं और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग तो केंद्र सरकार द्वारा पिछले छह-सात सालों से समय-समय पर किया ही जा रहा है। लेकिन […]

error: Content is protected !!
Designed and Developed by CodesGesture