भारत अब लोकतंत्र की जगह ‘चुनावी तानाशाही’ में तब्दील हो चुका है : स्वीडिश इंस्टिट्यूट रिपोर्ट

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भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का खिताब सिर्फ इसलिए हासिल नहीं था, क्योंकि ऐसा हम कहते थे। अब तक ये बात सारी दुनिया कह रही थी। तब हम गर्व करते थे। अब वही दुनिया वाले अगर कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है तो क्या इस पर गौर नहीं किया जाना चाहिए? 

● आलोक शुक्ल / पूर्वा स्टार 

दस दिन के अंदर दुनिया के दो संस्थानों ने कहा ​है कि भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है। इसी महीने के शुरुआती हप्ते में अमेरिका की एक संस्था ‘फ्रीडम हाऊस’ ने कहा कि भारत अब एक ‘आजाद देश’ नहीं बल्कि ‘आंशिक रूप से आजाद देश’ है। और अब स्वीडन के रिसर्च इंस्टिट्यूट वी-डेम की रिपोर्ट कहती है, “भारत अब चुनावी लोकतंत्र नहीं रहा, बल्कि चुनावी तानाशाही में तब्दील हो चुका है।”

वी-डेम की रिपोर्ट कहती है, “2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से देश का लोकतांत्रित स्वरूप काफी कमजोर हुआ है और अब ये ‘तानाशाही’ की स्थिति में आ गया है। ताजा आंकड़ों को देखते हुए पूरे दावे के साथ ये कहा जा सकता है कि भारत ‘चुनावी तानाशाही’ में तब्दील हो चुका है। भारत अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी ‘निरंकुश’ और बदतर हालत में पहुंच गया है।”

संस्थान ने अपनी पिछली रिपोर्ट में कहा था कि भारत अपने लोकतंत्र का दर्जा खोने के कगार पर है और इस साल 2020 के आंकड़ों पर आधारित नयी रिपोर्ट ने इस आशंका की पुष्टि कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार पर्याप्त आंकड़े नहीं होने के चलते पिछले साल भारत की तस्वीर अधिक स्पष्ट नहीं हो पाई थी, लेकिन नए आंकड़ों के चलते अब पूरे दावे के साथ ये कहा जा सकता है कि भारत ‘चुनावी तानाशाही’ में तब्दील हो चुका है।

इसके चलते वी-डेम की रिपोर्ट में 180 देशों में से भारत 97वें पायदान पर आकर निचले 50 फीसदी देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है।

भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का खिताब सिर्फ इसलिए हासिल नहीं था, क्योंकि ऐसा हम कहते थे। अब तक ये बात सारी दुनिया कह रही थी। तब हम गर्व करते थे। अब वही दुनिया वाले अगर कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है तो क्या इस पर गौर नहीं किया जाना चाहिए?

वी-डेम?

वी-डेम (V-Dem) संस्थान, स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में स्थित एक स्वतंत्र शोध संस्थान है। यह दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में वहां की शासन व्यवस्था, सरकारों के कार्य प्रणाली और उसके प्रभाव को लेकर शोध करती है और उसके निष्कर्ष निकालती है। इसी संस्थान ने भारी-भरकम आंकड़ों का विश्लेषण कर यह रिपोर्ट प्रकाशित की है।

‘तानाशाही के तीसरी लहर’ का अगुवा बना भारत!

स्वीडिश रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ‘तानाशाही के तीसरी लहर’ की अगुवा वाले देशों में शामिल है। इस समय दुनिया की 68 फीसदी जनता तानाशाही में जीवन व्यतीत कर रही है। दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या- 2.6 अरब- वाले 25 देशों का तानाशाहीकरण हो रहा है। यहां तक कि जी20 वाले देश जैसे कि ब्राजील, भारत, तुर्की और अमेरिका भी इस लहर की श्रेणी में हैं।

तानाशाही का पैटर्न

वी-डेम ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियां होने के बावजूद तानाशाहीकरण एक ही तरह के पैटर्न को फॉलो करता हुआ दिखाई देता है। इसकी शुरूआत वहां से होती है, जब सत्ता मीडिया और नागरिक समाज पर हमले करने लगती है, प्रतिरोध का आदर किए बिना समाज को बांटा जाता है और झूठी सूचनाएं प्रसारित की जाती हैं।

इस रिपोर्ट में पूरा एक चैप्टर भारत पर है। इसमें कहा गया है कि ‘दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब चुनावी तानाशाही में तब्दील हो चुका है। देश में धीरे-धीरे मीडिया, अकादमिक जगत और सिविल सोसाइटी की आजादी को छीना जा रहा है।’

भारत में उदारवादी लोकतंत्र के कई आयामों में गिरावट आई

वी डेम ने कहा कि ‘साल 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की जीत और हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडा आगे बढ़ाने के बाद से ही ज्यादातर गिरावट आई है। साल 2020 के अंत तक भारत के उदारवादी लोकतंत्र का नंबर 0.34 रहा, जबकि 2013 में ये अपने चरम पर 0.57 था। इस तरह उदारवादी लोकतंत्र सूचकांक में 23 फीसदी की कमी आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक मीडिया का सरकारी सेंसरशिप, सिविल सोसायटी का दमन और चुनाव आयोग की स्वायत्तता में कमी के चलते भारत की ये स्थिति हुई है। उन्होंने कहा कि मीडिया में बहुत ज्यादा पक्षपात हो रहा है और अकदामिक एवं धार्मिक स्वतंत्रता में कमी आई है।

रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा राजद्रोह, मानहानि और कठोर यूएपीए कानूनों का लगातार इस्तेमाल करने को लेकर भी आलोचना करते हुए कहा गया है,

उदाहरण के तौर पर सत्ता में भाजपा के आने के बाद से 7,000 लोगों पर रोजद्रोह का मुकदमा किया गया है।’ इसके साथ ही रिपोर्ट ने विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों को सरकार द्वारा दमन किए जाने की भी आलोचना की है।

क्या कहती है ‘फ्रीडम हाउस’ की रिपोर्ट

अभी एक ही हफ्ते पहले अमेरिका की एक संस्था फ्रीडम हाऊस ने कहा कि भारत अब एक ‘आजाद देश’ नहीं बल्कि ‘आंशिक रूप से आजाद देश’ है। इस रिपोर्ट में भारत को ‘फ्री कंट्री’ से ‘पार्टली फ्री’ कंट्री की श्रेणी में डालते हुए कहा गया कि 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भारत में नागरिक अधिकार सीमित होते जा रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि भारत का “स्वतंत्र देशों के स्तर से नीचे गिरनेे” का दुनिया के लोकतांत्रिक मानकों पर घातक असर पड़ेगा।

दांव पर है प्रतिष्ठा

दुनिया भर की मानवाधिकार और लोकतंत्र निगरानी संस्थाएं लगातार भारत के बारे में ऐसा कह रही हैं। भारत ने एक बहुत लंबी लड़ाई लड़कर आजादी हासिल की थी और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का गौरव हासिल किया था। दुर्भाग्य से भारत अपना लोकतंत्र और दुनिया में अपनी इज्जत, दोनों गवां रहा है।

दुनिया की इन प्रतिष्ठित संस्थाओं की रिपोर्टों से यह संदेश जा रहा है कि ‘देश नहीं झुकने दूंगा’ का नारा देने वाले लोग दुनिया में भारत का सिर झुका रहे हैं। लाखों लोगों ने कुर्बानी देकर जो लोकतंत्र हासिल किया था, उसे हमारे चुने हुए नेतृत्व के हाथों ​धीमा जहर दिया जा रहा है। ये संदेश भारत के लिए ठीक नहीं है।

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