ट्विटर ने की सरकार की नाफ़रमानी, कई अकाउंटों को ब्लॉक करने से किया इनकार

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● पूर्वा स्टार ब्यूरो 

सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर और भारत सरकार आमने सामने आ गए हैं मानो दोनो के बीच आर-पार की लड़ाई छिड़ गई है। ट्विटर ने भारत सरकार के कहने के बावजूद कुछ अकाउंट को ब्लॉक करने से इनकार कर दिया है। उसने भारत का नाम लिए बग़ैर कहा है कि ‘पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ओपन इंटरनेट पर ख़तरा बढ़ता ही जा रहा है।’

भारत सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उसने ट्विटर के प्रतिद्वंद्वी ‘कू’ पर जवाब देते हुए उसके ब्लॉग को ‘असामान्य’ क़रार दिया है। यह सब तब हो रहा है जब ट्विटर ने सरकार के कहने पर कई ट्विटर अकाउंट को बंद कर दिया है और सूचना व प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद से मिलने के लिए समय माँगा है।

कुछ अकाउंट ब्लॉक

ट्विटर ने अपने आधिकारिक ब्लॉग में कहा है, “हमने कंट्री विदहेल्ड कंटेट नीति के तहत कई अकाउंट को भारत के अंदर ब्लॉक कर दिया है। ये अकाउंट भारत के बाहर चालू हैं।” 

बता दें कि ये वे अकाउंट हैं, जिन्हें बंद करने का आदेश भारत सरकार ने यह कह कर दिया था कि इससे ग़लत व नफ़रत फैलाने वाली सामग्री ट्वीट की जा रही हैं। दरअसल, इनमें से ज़्यादातर ट्विटर अकाउंट किसान आन्दोलन या उससे जुड़े लोगों के थे। वे ट्विटर का इस्तेमाल कर अपने लोगों को आन्दोलन की जानकारी दे रहे थे, संयोजन कर रहे थे और किसानों से जुड़ी सामग्री भी परोस रहे थे। 

ट्विटर का जवाब

टर ने इस ब्लॉग में अपना रुख कड़ा करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह “भारत सरकार के कहने पर भी पत्रकारों, मीडिया कंपनियों और कार्यकर्ताओं के अकाउंट बंद नहीं करेगा।”

उसने ब्लॉग में इसका कारण बताते हुए कहा, “हमें नहीं लगता है कि हमें जो आदेश दिया गया है, वह भारत के क़ानूनों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धान्त के अनुरूप है, लिहाज़ा हमने मीडिया, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं व राजनेताओं से जुड़े अकाउंट पर कोई कार्रवाई नहीं की है।” 

इसमें आगे कहा गया है

“हमें लगता है कि इन पर कोई कार्रवाई करना भारत के क़ानूनों के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन होगा।”-

ट्विटर के ब्लॉक का अंश

1178 खाते बंद करने का आदेश

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ट्विटर से 1178 खातों को बंद करने का आदेश देते हुए कहा है कि ये खाते पाकिस्तान और खालिस्तान से सहानुभूति रखते हैं। इसके कुछ दिन पहले ही सरकार ने 100 ट्विटर खातों को बंद कराया था और 150 ट्वीट हटवाए थे। लेकिन उसके कुछ ही घंटों में ट्विटर ने एकतरफ़ा फ़ैसला लेते हुए उन सभी खातों और ट्वीट को बहाल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने खुली चेतावनी दी थी कि या तो ट्विटर सरकार का आदेश माने या नतीजा भुगतने को तैयार रहे। 

सरकार ने 1178 खातों को बंद करने का आदेश देते कहा था,

“भारत के कुछ हिस्सों में चल रहे किसान आन्दोलन को देखते हुए इन ट्विटर हैंडल से क़ानून-व्यवस्था के लिए दिक्क़तें पैदा हो रही हैं। इनमें से कई के साथ ऑटोमेटेड बॉट भी लगे हुए है, जिनसे भड़काऊ और ग़लत जानकारियाँ और बढ़ा-चढ़ा कर बातें कही जा रही हैं।”

-सूचना व प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार

ट्विटर को चेतावनी

इसके आगे ट्विटर को चेतावनी देते हुए कहा गया था, “यदि ट्विटर ने इस आदेश का पालन नहीं किया तो आईटी एक्ट, 69 ‘ए’, के तहत क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।” 

लेकिन ट्विटर पर इस धमकी का कोई असर नहीं पड़ा है। उसने साफ शब्दों में कह दिया कि वह पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक आधिकार की रक्षा करती रहेगी। उसने यह भी कहा कि स्वयं भारत के क़ानूनों के अनुसार, इन अकाउंट को बंद करना मौलिक अधिकारों का हनन होगा। 

पहले किया था ब्लॉक

यह बात अब साफ है कि ट्विटर भारत के दबाव में आकर पत्रकारों, मीडिया कंपनियों, कार्यकर्ताओं व नेताओं के ट्विटर हैंडल पर रोक नहीं लगाएगा।

याद दिला दें कि भारत ने पहले जिन लोगों के अकाउंट ब्लॉक करने को कहा था, उनमें तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन और किसान आन्दोलन से जुड़े कई संगठन भी थे। 

ट्विटर ने यह भी कहा है कि उसने भारत सरकार के कहने पर ट्विटर अकाउंट को कुछ देर के लिए ब्लॉक कर दिया था, वह आपातकालीन फ़ैसला था, पर बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया।

इस सोशल मीडिया कंपनी ने यह भी कहा है कि कुछ अकाउंट और हैशैटग को सीमित कर दिया गया है। इसके अलावा 500 अकाउंट को भारत में ब्लॉक भी कर दिया गया है।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि आने वाले समय में भारत सरकार और ट्विटर के बीच टकराव और बढ़ सकता है। सरकार का मकसद निष्पक्ष पत्रकारों और व उसकी आलोचना करने वाले दूसरे लोगों का मुँह बंद कराना है। लेकिन ट्विटर ऐसा नहीं कर रहा है।

ट्विटर पर बीजेपी का हमला

सत्तारूढ़ बीजेपी के कई लोगों ने ट्विटर पर ज़ोरदार हमला बोला है और उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की माँग सरकार से की है। सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा है कि ट्विटर मनमानी कर रहा है, अपनी मर्जी से सामग्री जाने देता है या रोक देता है। 

बीजेपी महासचिव बीएल संतोष ने ट्विटर को याद दिलाया है कि वह सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म है, यानी, सरकार की नाफ़रमानी नहीं कर सकता, उसे सरकार की बात माननी ही होगी। 

फ़ेसबुक का मामला

इसके पहले फ़ेसबुक का मामला भी उठा था। फ़ेसबुक पर यह आरोप लगा था कि उसने सत्तारूढ़ दल बीजेपी के कहने पर कई लोगों के अकाउंट बंद कर दिए थे, ब्लॉक कर दिए थे। लेकिन बीजेपी नेताओं के नफ़रत फैलाने वाले कंटेट को नहीं हटाया था न ही उन्हें ब्लॉक किया था। 

इसकी वजह यह भी कि फ़ेसबुक इंडिया के तत्कालीन पब्लिक पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने कहा था कि ऐसा करने से भारत सरकार से कंपनी के रिश्ते खराब होंगे और उसके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा। बता दें कि उसके कुछ दिन बाद ही फेसबुक ने भारत में 5,600 करोड़ रुपए से ज़्यादा का निवेश किया ताकि वह यहां के रीटेल और मनी ट्रांसफर व्यवसायों में काम कर सके। 

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