किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से अलग हुए भूपिंदर सिंह मान, कहा- किसानों के साथ खड़ा हूं 

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सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन और विवादित कृषि कानूनों को लेकर गठित की है कमेटी

● पूूर्वा स्टार ब्यूरो

कृषि कानूनों और उनके खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चार सदस्यीय कमेटी बनाये जाने के दूसरे दिन ही ने भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है।

भुपिंदर सिंह मान ने नाम वापस लेने का ऐलान करते हुए एक चिट्ठी लिखी है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि किसान यूनियन और लोगों के बीच जो आशंकाएं चल रहीं हैं, उनके चलते वो कमेटी से अपना नाम वापस ले रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि वो सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद देते हैं कि उन्हें किसानों से बातचीत करने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी में शामिल किया गया। उन्होंने आगे लिखा,

“लेकिन एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावनाओं को समझता हूं। किसान संगठनों और आम लोगों की भावनाओं को देखते हुए मैं किसी भी पद का त्याग करने के लिए तैयार हूं। मैं पंजाब और देश के किसानों के हितों का बलिदान नहीं होने दूंगा। मैं कमेटी से खुद को अलग कर रहा हूं और हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा हूं।”

भूपिंदर सिंह मान

विवादास्पद कानून के समर्थक हैं मान 

भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्हें एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर बनाई गई कमेटी में शामिल किया था। लेकिन उनका नाम सामने आते ही तमाम तरह की बातें शुरू हो गईं, किसानों ने कहा कि मान पहले से ही सरकार और कानूनों के समर्थक रहे हैं। विपक्ष ने भी उनके पुराने पोस्ट और बयानों को शेयर करना शुरू कर दिया।

भूपिंदर सिंह मान ने बीते दिसंबर महीने में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कृषि कानूनों का समर्थन किया था। भूपिंदर का कहना था कि अथक प्रयासों और लंबे संघर्षों के चलते जो आजादी की सुबह किसानों के जीवन में क्षितिज पर दिखाई दे रही है आज उसे फिर से अंधेरी रात में बदल देने के लिए कुछ तत्‍व आगे आकर उत्‍तरी भारत के कुछ हिस्‍सों में और विशेषकर दिल्‍ली में जारी किसान आंदोलन के जरिये इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई चार लोगों की कमेटी

सरकार और किसानों के बीच हुई 8 दौर की बातचीत बेनतीजा रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और बुधवार को अपने आदेश में कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। साथ ही कमेटी बनाने का ऐलान किया। कमेटी में खेती-किसानी से जुड़े एक्सपर्ट – कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवट और बीकेयू नेता भूपिंदर सिंह मान को शामिल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कमेटी अगले 10 दिनों में पहली बैठक करे, इसके अलावा दो महीने में पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

लेकिन कमेटी के ये चारों नाम सामने आते ही सोशल मीडिया पर इनके पुराने बयान और पोस्ट शेयर होने लगे। बताया गया कि चारों लोग पहले से ही कृषि कानूनों के समर्थन में बोलते और लिखते आए हैं। किसानों ने भी कहा कि सभी सरकार के कानूनों के समर्थक हैं। कमेटी बनने के कुछ ही घंटे बाद चार सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने बयान जारी करते हुए साफ कहा कि कृषि कानूनों को रद्द करने बजाय उनमें संशोधन किया जाना चाहिए। साथ ही कहा कि आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ काम करके अपनी बात रखनी चाहिए।

किसानों ने कमेटी को किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही बातचीत के लिए कमेटी बनाई है, लेकिन किसान इसे ठुकरा चुके हैं। किसानों का कहना है कि वो कमेटी के सामने बातचीत के लिए पेश नहीं होंगे। वो सिर्फ सरकार से बातचीत करना चाहते हैं, क्योंकि वो कृषि कानूनों को लेकर आए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि कमेटी में शामिल होने का मतलब किसानों की तमाम मांगों को ठंडे बस्ते में डालना है।

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