तोमर ने कहा- नहीं होगा कृषि क़ानून वापस, किसान बोले- अब करेंगे सीधी कार्रवाई
मोदी सरकार ने यह तय कर लिया है कि वह किसान आंदोलन के दबाव में नहीं आयेगी और किसी भी हाल में तीनों कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेगी। सरकार की तरफ से अब यह बात साफ शब्दों में कह दी गयी है। किसान नेताओं ने अब अपने आंदोलन को देश भर में फैलाने की तैयारी तेज कर दी है।
● पूर्वा स्टार ब्यूरो
सोमवार की बेनतीजा बैठक में शामिल किसान नेताओं के मुताबिक कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि “इन क़ानूनों को सरकार किसी कीमत पर रद्द नहीं करेगी, किसान चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दें।” तोमर के इस बयान से पिछले चालीस दिनों से कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे दिल्ली की सीमा से सटे इलाक़ों में डेरा डाले किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। जो उम्मीद थी, वह भी टूट सी गयी है।
‘कृषि क़ानून रद्द नहीं होगा’
किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सरवण सिंह पंधेर ने कहा,
“नरेंद्र तोमर ने हमें साफ कह दिया कि क़ानून रद्द नहीं किए जाएंगे, उन्होंने हमें यहाँ तक कह दिया कि हम चाहें तो इन क़ानूनों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दें।”
– सरवण सिंह पंधेर, अध्यक्ष, किसान मज़दूर संघर्ष समिति
इसके साथ ही पंधेर ने पंजाब के युवाओं से गणतंत्र दिवस के मौके पर बड़ा जुलूस निकालने के लिए तैयारी करने की अपील भी कर दी।
‘कृषि क़ानून रद्द करना ही होगा’
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है, यदि वह चाहती है कि हम आन्दोलन ख़त्म कर अपने घर लौट जाएं तो उसे इन क़ानूनों को वापस लेना ही होगा।”
“हमारी माँग तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है, हम इससे कुछ भी कम पर किसी सूरत में तैयार नहीं होंगे।”
– राकेश टिकैत, किसान नेता
सोमवार को किसान और सरकार के बीच बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि क़ानून वापस नहीं होगा और किसान सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के लिये आज़ाद हैं।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, “दूसरे राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी कृषि क़ानूनों पर बात की जाएगी। हम तीनों क़ानूनों के हर बिन्दु पर बात करने और आपत्तियों पर विचार कर क़ानूनों में संशोधन करने को तैयार हैं।”
किसानों का सीधी कार्रवाई का एलान
किसान आन्दोलन 26 नंवबर से ही चल रहा है, जिसके तहत दिल्ली की सीमा पर हज़ारों किसान जमे हुए हैं। उनकी माँग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़े क़ानून, बिजली संशोधन विधेयक और पराली जलाने से जुड़े एअर क्वालिटी कमीशन ऑर्डिनेंश से जुड़े क़ानून वापस ले लिए जाएं। सरकार पराली और बिजली कानून को वापस लेने पर सहमत हो गयी है, लेकिन बाकी कानूनों पर वो टस से मस नहीं हो रही है।
इन तीन कानून की वापसी और समर्थन मूल्य की गारंटी की माँग को लेकर ही किसान आंदोलन पर है। उनके मुताबिक़ पराली और बिजली के मसले तो मामूली हैं।सरकार की ज़िद को देखते हुये किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने का फ़ैसला किया है। वो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली कूच करने की योजना बना रहे हैं।
किसान 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में ट्रैक्टर और वाहन की परेड निकालेंगे। इसके अलावा किसान आंदोलन को धार देने के साथ ही इसे राष्ट्रव्यापी बनाने की रणनीति पर काम हो रहा है।
क्रांतिकारी किसान मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि “दिल्ली में छह नाकों पर किसान बैठे हुए हैं। देश में कुल 100 जगह आंदोलन चल रहा है। अब 26 से पहले किसी दिन शाहजहांपुर सीमा नाकाबंदी को दिल्ली की ओर ले जाया जाएगा।”
डॉ. दर्शन पाल ने कहा, “6 जनवरी को रिहर्सल परेड होगी। 6-20 जनवरी तक पूरे पखवारे एक कॉल देंगे। इसके बाद किसान आंदोलन के पक्ष में पूरे देश में लोग बड़ी-बड़ी रैलियां, विरोध-प्रदर्शन और जुलूस निकालेंगे। जनजागरण अभियान चलेगा। 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाएंगे। 23 को सुभाष चंद्र बोस जयंती पर पूरे देश में बड़े कार्यक्रम करके गवर्नर हाउस की ओर मार्च करेंगे।”
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को पूरे देश में किसान ट्रैक्टर और वाहन परेड निकालेंगे। इसकी बड़ी तैयारी चल रही है। दिल्ली के नजदीकी जिलों के लोग 25 जनवरी को ही बार्डर्स पर बुलाये जा रहे हैं। पूरे देश में 26 जनवरी को परेड निकालने की योजना है।
डॉ. पाल ने कहा, “अडानी अंबानी के खिलाफ बायकॉट जारी है और जारी रहेगा। इसके अलावा भाजपा और उनके सहयोगी दलों के खिलाफ बायकॉट जारी रहेगा। हरियाणा पंजाब में पहले की ही तरह टोल फ्री रहेंगे।”