सरकार के साथ किसानों की बातचीत फ़िर बेनतीजा, अगली बैठक 8 जनवरी को
‘सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। मंत्री चाहते हैं कि हम क़ानून पर बिंदुवार चर्चा करें। हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि क़ानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि हम चाहते हैं कि क़ानून पूरी तरह से वापस हों।
– युधवीर सिंह, किसान नेता
● पूर्वा स्टार ब्यूरो
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा रही। बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधि शुरू से ही इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, जबकि सरकार पहले की तरह ही इस बार भी कानूनों के फायदे गिनाती रही।
बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच अनाज खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को कानूनी गारंटी देने की किसानों की महत्वपूर्ण मांग के बारे में चर्चा नहीं हुई। किसान संगठनों के नेताओं और सरकार, दोनों ने कहा कि अगली बैठक 8 जनवरी को होगी।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया, ‘आज की बातचीत बेनतीजा रही क्योंकि यूनियन के नेता तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ जून को फिर से वार्ता होगी।’

उन्होंने कहा, ‘आज की बातचीत देखते हुए मुझे उम्मीद है कि अगली मीटिंग में हमारे बीच एक अर्थपूर्ण बातचीत होगी और हम एक निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे।’
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।
वहीं, किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अभी भी इस चक्कर में है कि कानूनों में कुछ संशोधनों से काम चला लिया जाए लेकिन हमनें बता दिया है कि सरकार द्वारा कानूनों में संशोधन का बार बार आ रहा प्रस्ताव हमारे लिए ‘डेड प्रपोजल’ है और यह हमें स्वीकार नहीं है।
ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा, ‘कानून वापस लेने के अलावा हम किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत करना नहीं चाहते। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘कानून वापस लेने तक प्रदर्शन खत्म नहीं होगा। कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।’
सरकार भयानक दबाव में
मौजूदा प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ इस बैठक की शुरुआत हुई। 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे जो करीब दो घंटे तक चली। दोनों पक्षों ने दोबारा सवा पांच बजे फिर से चर्चा शुरू की, लेकिन किसानों के कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े होने के कारण इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी। अपनी मांगों को लेकर किसान प्रतिनिधियों के कड़े रुख से पूरी बैठक के दौरान सरकार के मंत्री भारी दबाव में रहे।
किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार को आंतरिक रूप से और विचार विमर्श करने की जरूरत है और इसके बाद वे (सरकार) किसान संघों के पास आएंगे। किसान नेताओं ने कहा कि वे आगे के कदम के बारे में चर्चा के लिए मंगलवार को अपनी बैठक करेंगे।
ठंड और भारी बारिश में बार्डर्स पर जमे हैं किसान
देश के विभिन्न राज्यों के लाखों किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले चालीस दिन से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान आंदोलन में लगातार हो रही मौतें भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अब तक 60 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर रविवार की सुबह से ही भारी बारिश हो रही है जो सोमवार को भी देर रात तक होती रही। इससे धरना स्थल पर जलजमाव की हालत बन गई है और ठंड भी काफी बढ़ गई है, इसके बावजूद किसान डटे हुए हैं।
सरकार को चेताया
किसान नेताओं ने एक बार फिर मोदी सरकार को चेताया है कि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो अब वे अपना आंदोलन तेज़ करेंगे और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मौक़े पर ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसेंगे।
किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए बनाए गए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वे 7 से 20 जनवरी तक पूरे देश में ‘देश जागृति अभियान’ चलाएंगे। इसके साथ ही 18 जनवरी को महिला किसान दिवस और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर किसान चेतना दिवस मनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में टोल प्लाज़ा फ्री रहेंगे और सभी पेट्रोल पंप और मॉल्स बंद रहेंगे। किसानों ने कहा कि बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का इनका गठबंधन बने रहने तक हरियाणा भर में विरोध जारी रहेगा और अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार भी जारी रहेगा।
ये कृषि क़ानून उनके लिए डेथ वारंट हैं और इनके लागू होने से वे तबाह हो जाएंगे। किसान अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक नहीं जाएंगे जब तक ये कृषि क़ानून वापस नहीं हो जाते।
– आंदोलनकारी किसान
किसानों ने कहा कि 13 जनवरी को लोहड़ी पर तीनों क़ानूनों की प्रतियों को प्रतीकात्मक विरोध के रूप में जलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिला किसानों और प्रदर्शनकारियों को सम्मानित करने के लिए 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल ने कहा, ‘अगर 26 जनवरी तक सरकार द्वारा मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान शांतिपूर्वक और अहिंसक तरीक़े से दिल्ली में ट्रॉली/ट्रैक्टर परेड का नेतृत्व करेंगे। ऐसे मार्च सभी राज्यों की राजधानियों और ज़िला मुख्यालयों पर भी आयोजित किए जाएंगे।