10 अर्थशास्त्रियों का कृषि मंत्री को खत- वापस लीजिए तीनों कानून

Read Time: 3 minutes

● पूर्वा स्टार ब्यूरो 

विभिन्न संस्थानों के 10 वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक चिट्ठी लिखकर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। अर्थशास्त्रियों ने दावा किया है कि तीनों कानून ‘मूल रूप से नुकसानदायक’ हैं।

‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चिट्ठी में अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि ये कानून छोटे और सीमांत किसान के हित में नहीं हैं। इसमें कहा गया, “हमें लगता है कि भारत सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए, जो कि देश के छोटे और सीमांत किसान के हित में नहीं हैं और जिनके खिलाफ किसान संगठनों के बड़े धड़े ने आपत्ति जताई है।”

चिट्ठी लिखने वाले अर्थशास्त्रियों में डी नरसिम्हा रेड्डी, कमल नयन काबरा, के एन हरिलाल, रंजीत सिंह घूमन, सुरिंदर कुमार, अरुण कुमार, राजिंदर चौधरी, आर रामकुमार, विकास रावल और हिमांशु शामिल हैं।

अर्थशास्त्रियों की 5 चिंताएं

कानूनों को वापस लेने की मांग के पीछे अर्थशास्त्रियों ने पांच चिंताएं बताई हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ये चिंताएं हैं :

  • 1- एग्रीकल्चरल मार्केट को रेगुलेट करने के लिए राज्य सरकारों की भूमिका को कम किया गया है क्योंकि स्थानीय हकीकतों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों की मशीनरी किसानों की ज्यादा पहुंच में होती है और जवाबदेही भी होती है।
  • 2- कानून से ट्रेड में दो बाजार बन जाएंगे- एक रेगुलेटेड APMC और दूसरा अनरेगुलेटेड और दोनों के अलग नियम और फीस होगी। प्राइस और नॉन-प्राइस मुद्दों को लेकर किसानों का उत्पीड़न बढ़ जाएगा। मिलीभगत और बाजार को प्रभावित करने का खतरा रेगुलेटेड APMC बाजार और अनरेगुलेटेड बाजार दोनों में बढ़ जाएगा और अनरेगुलेटेड वाले में इसके समाधान की भी कोई प्रक्रिया नहीं होगी।
  • 3- बिहार की एक केस स्टडी का हवाला देते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि 2006 में APMC कानून हटने के बाद किसानों के लिए मोलभाव करने और विकल्पों में कमी आई है और इससे दूसरे राज्यों के मुकाबले कम दाम पर फसल बिक रही है।
  • 4- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में असमान खिलाड़ियों की मौजूदगी किसानों के हित का बचाव नहीं करेगी।
  • 5- अर्थशास्त्रियों ने बड़े कृषि-व्यापारों के प्रभुत्व पर चिंता जताते हुए कहा कि छोटे किसान बाजार से बाहर हो जाएंगे।

अर्थशास्त्रियों के सुझाव

अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि किसानों को बेहतर व्यवस्था चाहिए जिसमें उनके पास मोलभाव की ज्यादा गुंजाइश हो। सरकार से कानूनों को वापस लेने की अपील करते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि ‘सच में लोकतांत्रिक काम’ कीजिए और किसान संगठनों की चिंताओं को सुनिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related

इंसानियत के लिए डरावनी है यूएन की ताजा जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट

Post Views: 159 संयुक्त राष्ट्र की जारी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अगले 20 साल में दुनिया के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्शियस इजाफा तय है, ग्लोबल वार्मिंग की इस रफ्तार पर भारत में चरम गर्म मौसम की आवृत्ति में वृद्धि की उम्मीद। ● जनपथ धरती की सम्‍पूर्ण जलवायु प्रणाली के हर क्षेत्र में पर्यावरण में […]

पेगासस जासूसी और भारतीय लोकतंत्र के इम्तिहान की घड़ी

Post Views: 148 ● एमके वेणु जब सरकारें यह दिखावा करती हैं कि वे बड़े पैमाने पर हो रही ग़ैर क़ानूनी हैकिंग के बारे में कुछ नहीं जानती हैं, तब वे वास्तव में लोकतंत्र की हैकिंग कर रही होती हैं। इसे रोकने के लिए एक एंटीवायरस की सख़्त ज़रूरत होती है। हमें लगातार बोलते रहना […]

पंजाबी गीतों में किसान आंदोलन की गूंज

Post Views: 235 नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बैठे किसानों को पंजाब के गायकों का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। नवंबर के अंत से जनवरी के पहले सप्ताह तक विभिन्न गायकों के दो सौ अधिक ऐसे गीत आ चुके हैं, जो किसानों के आंदोलन पर आधारित हैं। कंवल ग्रेवाल और हर्फ चीमा की नई […]

error: Content is protected !!
Designed and Developed by CodesGesture