मोतीलाल वोरा का राजनीतिक सफर

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश का राज्यपाल रह चुके वोरा कांग्रेस में एक बड़ा नाम थे और टॉप लीडरशिप के साथ उनके काफी करीबी रिश्ते थे। भले ही वोरा 90 साल की उम्र को पार कर चुके थे, लेकिन राजनीति में वो लगातार एक्टिव थे।

बतौर पत्रकार कई सालों तक किया काम

तीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 में राजस्थान के नागपुर जिले में हुआ। जिसके बाद उन्होंने रायपुर में अपनी पढ़ाई पूरी की। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद मोतीलाल वोरा ने बतौर पत्रकार कई मीडिया संस्थानों के साथ काम किया।

लेकिन राजनीति की दुनिया में मोतीलाल वोरा ने पहली बार साल 1968 में कदम रखा। जिसके बाद 1972 में वो पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा में बतौर विधायक पहुंचे। इसी दौरान उन्हें मध्य प्रदेश स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन का चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद अगले चुनावों 1977 में भी वो एक बार फिर चुने गए।

इसके तीन साल बाद 1980 में उन्हें कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली। वोरा को मिनिस्टर ऑफ स्टेट के तौर पर हायर एजुकेशन की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद उनका कद लगातार बढ़ता गया और 1983 में वोरा को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया।

मुख्यमंत्री का मिला पद

मोतीलाल वोरा का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता जा रहा था, जिसके बाद उन्हें मार्च 1985 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन 13 फरवरी 1988 को उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और केंद्र में बतौर स्वास्थ्य मंत्री काम संभाला।

इसके बाद अप्रैल 1988 में वो पहली बार बतौर सांसद राज्यसभा पहुंचे। बतौर सांसद काम करने के बाद कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा को 26 मई 1993 को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने 3 मई 1996 तक राज्यपाल का पद संभाला।

कांग्रेस नेतृत्व से करीबियां

अब मोतीलाल वोरा कई बार राज्य और फिर केंद्र की राजनीति में आए, राज्यपाल जैसे पद पर भी रहे। ये सब इसीलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनकी काफी करीबियां थीं। राजीव गांधी ने उन्हें कई जिम्मेदारियां सौंपी थीं। लेकिन राज्यपाल का पद छोड़ने के बाद सोनिया गांधी का युग शुरू हो चुका था। इसके बाद मोतीलाल वोरा सोनिया गांधी के खास लोगों मे से एक बन गए। तमाम बड़े इवेंट में वोरा को सोनिया गांधी के साथ देखा जाता था।

उन्हें कांग्रेस पार्टी का कोषाध्यक्ष बनाया गया। वो कई सालों तक इस पद पर रहे और कांग्रेस पार्टी का पूरा हिसाब बखूबी देखा। लेकिन साल 2018 में उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उनसे कोषाध्यक्ष का पद ले लिया गया।

बढ़ती उम्र के साथ चलती रही राजनीति

मोतीलाल वोरा उन लोगों में से एक थे, जो बढ़ती उम्र में संन्यास लेने की बजाय लगातार काम में जुटे रहते हैं। उन्होंने अपने आखिरी समय तक काम किया और कांग्रेस पार्टी की हर जरूरी गतिविधियों में शामिल रहे। सिर्फ पार्टी स्तर पर ही नहीं, मोतीलाल वोरा सोशल मीडिया पर भी लगातार एक्टिव रहे। पार्टी और अलग-अलग राज्यों से जुड़ा कोई भी मसला हो, वो लगातार उसे लेकर ट्वीट करते थे। हाल ही में जब कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल का निधन हुआ तो मोतीलाल वोरा ने उनके साथ अपनी तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा,

“कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद श्री अहमद पटेल जी के निधन की ख़बर अत्यंत दुःखद है। यह क्षति देश के लिए , पुरे कांग्रेस परिवार व निजी रूप से मेरे लिए अपूरणीय क्षति हैं। निःशब्द हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व उनके परिवार को सहनशीलता प्रदान करे।”

मोतीलाल वोरा के निधन से एक दिन पहले 20 दिसंबर को उनका जन्मदिन भी था। ट्विटर पर लोगों ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी, तो उन्होंने भी धन्यवाद का रिप्लाई दिया था। अगर उनके ट्विटर अकाउंट पर नजर डालें तो वोरा पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग और तमाम अहम जगहों में शिरकत करते हुए नजर आ रहे हैं। यानी वोरा इस उम्र में भी लगातार पॉलिटिकली एक्टिव थे।

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