राजनीति में विलक्षण शख्सियत थे अहमद पटेल

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तरुण गोगोई के तत्काल बाद कांग्रेस के एक और कद्दावर नेता अहमद पटेल के निधन की खबर दुखद है। अहमद पटेल साहब राजनीति में अपने ढंग की एक विलक्षण शख्सियत थे।

● सतीश कुमार 

गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर में पैदा हुए अहमद पटेल ने तीन बार (1977, 1980,1984) लोकसभा सांसद और पांच बार (1993,1999, 2005, 2011, 2017 से वर्तमान तक) राज्यसभा सांसद के रूप करीब चार दशक का संसदीय जीवन जिया था, लेकिन कभी भी मंत्री पद स्वीकार नहीं किया और संगठन एवं संगठनात्मक नेतृत्व की सेवा तक ही अपने को सीमित रखा। देश की राजनीति में वह बड़े रसूख वाले थे, पर कभी अपने परिवार को राजनीति में आगे नहीं किया।

गुजरात में हर दलीय निष्ठा से जुड़े लोग उनसे अपने काम करा लेने का दंभ रखते थे। वे ऐसे राजनीतिक चाणक्य थे, जो लंबे समय तक राजनीति की केन्द्रीय धुरी में शुमार थे, लेकिन कभी उनका चेहरा मीडिया स्क्रीन पर नहीं रहता था। मीडिया पर उनकी मजबूत पकड़ के चर्चे सुने जाते थे, लेकिन मीडिया प्रचार से सदैव अपने को दूर रखते रहे।

कांग्रेस अध्यक्ष के लंबे समय तक वह सलाहकार रहे, लेकिन सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि के साथ भी उनके चित्र पब्लिक डोमेन में बहुत कम दिखेंगे। दल के हर संकट में संकटमोचक भूमिका वाली साख थी, पर उसकी वाहवाही और शोहरत से बचते थे। लोगों के बीच भी दिखें, तो इतनी सहजता से बैठे नजर आते कि कोई आभास भी नहीं होता कि राजनीति का एक कद्दावर खिलाड़ी भी यहां बैठा है। 

राजनीतिक प्रबन्धन के अपने महारथ के नाते विरोधियों के निशाने पर भी रहते थे, पर उनकी सत्ता के सहारे फेंके गये जाल कभी उनको लपेट में ले न सके। कुल मिलाकर लीक से कुछ अलग ढर्रे वाले राजनीतिक खिलाड़ी, राजनीतिक एकनिष्ठा की मिसाल और एक अजातशत्रु सी शख्सियत थे अहमद पटेल।

(सतीश कुमार राजीव गांधी स्टडी सर्किल के राष्ट्रीय समन्वयक एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी में राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व आचार्य/पूर्व विभागाध्यक्ष व नेहरू स्टडी सेंटर के निदेशक हैं।)

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