यूपी में दलितों पर हो रहे अत्याचार की अंतहीन दास्तां, अब अमेठी में युवक को जिंदा जलाया

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उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचार की अंतहीन दास्तां है। हाथरस, बलरामपुर सहित कई जगहों पर दलित युवतियों के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हुईं। हाथरस में तो अभियुक्तों को निर्दोष बताते हुए बीजेपी के नेताओं की सभाएं तक हुईं। फिलहाल, सीबीआई हाथरस मामले की जांच कर रही है और इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। पीड़ित परिवार इंसाफ़ की उम्मीद लगाए बैठा है। ये बात अलग है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात का दावा करते नहीं थकते कि प्रदेश में हर व्यक्ति सुरक्षित है। लेकिन दलितों पर हो रहे अत्याचार की तमाम घटनाएं उन्हें पूरी तरह झूठा साबित करती हैं।

● आलोक शुक्ल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अमेठी के एक गांव में पैसों को लेकर हुए विवाद के बाद एक दलित युवक को जिंदा जलाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। शुक्रवार को अमेेेठी में एक दलित शख़्स को जिंदा जला दिया गया। बुरी तरह जल चुके इस शख़्स को लखनऊ रेफ़र किया गया लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बताया गया है कि पैसे के विवाद को लेकर अमेठी के मुंशीगंज पुलिस थाने के बंदुहिया गांव के पांच से छह लोगों ने दलित ग्राम प्रधान छोटका देवी के पति अर्जुन कोरी की पहले बर्बरता से पिटाई की और फिर उन्हें जिंदा जला दिया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित को 90 फीसदी झुलसी हालत में गांव में सवर्ण जाति के एक शख्स के घर से बरामद किया गया लेकिन अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। दलित प्रधान ने गांव के ही सवर्ण जाति के पांच लोगों पर पति को जिंदा जलाने का आरोप लगाया है। अमेठी के एसपी दिनेश सिंह ने कहा कि परिजनों ने पांच लोगों के ख़िलाफ़ तहरीर दी है और हत्या का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है।

कहा जा रहा है कि गांव की प्रधान छोटका के पति अर्जुन गुरुवार शाम को लगभग साढ़े छह बजे चाय पीने गांव के चौराहे पर गए थे, जहां से वह लापता हो गए। प्रधान का आरोप है कि गांव के ही कृष्ण कुमार तिवारी और उनके चार साथी उन्हें अपने साथ ले गए और अपने घर के अहाते में जिंदा जला दिया। उनका आरोप है कि प्रधान के पास सरकारी पैसा होता है इसलिए आरोपी धन उगाही की धमकी देते थे।

मोबाइल फोन में रिकार्ड है पीड़ित का बयान 

बताया जा रहा है कि पीड़ित के परिवार वालों ने जली हुई हालत में अर्जुन का बयान मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया है, जिसमें वह उन्हें जलाने के लिए गांव के ही पांच लोगों का नाम ले रहे हैं। इन पांच लोगों के नाम केके तिवारी, आशुतोष, राजेश, रवि और संतोष हैं। पीड़ित के बयान के आधार पर पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

चित्रकूट में बलात्कार

8 अक्टूबर को चित्रकूट में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ दरिंदगी की गई। यह घटना चित्रकूट कोतवाली इलाक़े के कैमरहा का पूर्व नाम के गांव में हुई है। नाबालिग के परिजनों ने कहा था कि उनकी बेटी शौच के लिए खेतों में गई थी, जहां से तीन लोगों ने उसे अगवा कर लिया और फिर बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद नाबालिग के हाथ-पांव बांधकर उसे एक नर्सरी में फेंक दिया।

आज़मगढ़ में दलित प्रधान की हत्या 

इसी साल अगस्त महीने में आज़मगढ़ में सत्यमेव जयते नाम के दलित ग्राम प्रधान की हत्या कर दी गई थी। सत्यमेव जयते के भतीजे लिंकन ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा था कि यह हत्या जातीय नफ़रत की वजह से हुई। उन्होंने कहा था कि सवर्ण लोग एक दलित शख़्स के प्रधान बनने और उनके सामने खड़े होने को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। 

अगस्त में ही गोरखपुर से दलित उत्पीड़न की एक घटना सामने आई थी, जिसमें एक नाबालिग के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया था और हैवानियत की हदें पार करते हुए उसके बदन को सिगरेट से दाग दिया था। इस मामले में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था। 

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में आम आदमी की हिफ़ाजत की जिम्मेदारी करने में योगी सरकार पूरी तरह विफल रही है। सवाल यह है कि योगी सरकार अपनी जिम्मेदारी से कब तक भागेगी। 

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