विधायकों की बगावत से खुलकर सामने आया अंदरखाने चल रहा बीजेपी-बीएसपी का ‘प्रेम’, मायावती बिफरीं- सपा को सबक सिखाएंगी
यूपी के राजनीतिक गलियारे में इधर कुछ महीनों से बीएसपी-बीजेपी के बीच अंदरखाने पक रही खिचड़ी पकने की चर्चा तेज थी। कांग्रेस और सपा इस बात को कहते रहे हैं कि बसपा भाजपा में गठबंधन हो गया है। बुधवार को बीएसपी के सात विधायकों की बगावत और गुरुवार को मायावती की प्रेस कांफ्रेंस से इस चर्चा को बल मिला है।
● आलोक शुक्ल
उत्तर प्रदेश में संख्याबल के बावजूद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के लिए राज्यसभा की एक सीट छोड़ने की बीजेपी की चालाकी अब दोनों दलों को भारी पड़ गयी है। हुआ यूं है कि बीजेपी-बीएसपी के बीच प्रेम की पींगें बढ़ते देख बुधवार को आधा दर्जन से ज्यादा बीएसपी विधायकों ने बग़ावत कर दी है और बीजेपी का बीएसपी के प्रति ‘समर्पण’ भी सामने आ गया है।
बीएसपी के राज्यसभा प्रत्याशी के प्रस्तावक पांच विधायकों ने बुधवार को अपना प्रस्ताव वापस लेते हुए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से भेंट कर सपा मे जाने के संकेेत दिये हैं। ख़बर तो बीएसपी विधायक दल के नेता लालजी वर्मा के भी अखिलेश यादव से मिलने की उड़ी पर उन्होंने आगे आकर इसका खंडन किया है।
बग़ावत के बाद बीजेपी ने बीएसपी प्रत्याशी की जीत पक्की करने के लिए पूरा जोर लगाया और एसपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन खारिज करवा दिया। उधर, विधायकों की बग़ावत के बाद भी बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम का पर्चा सही पाया गया।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने कहा है कि मौजूदा स्थितियां देखकर तो ऐसा लग रहा है कि बीएसपी का बीजेपी में विलय होने वाला है। यही कारण है कि बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में अपना नौवां उम्मीदवार नहीं उतारा है।
बीएसपी के विधायक बिफरे
राज्यसभा में बीजेपी के जीत सकने की स्थिति में होने के बाद भी एक सीट छोड़ देने और बीएसपी के प्रत्याशी की मदद करने के बाद से बीएसपी में बे-मौसम पतझड़ शुरू हो गया। मंगलवार को नामांकन दाखिल करने का समय बीतने के साथ ही तय हो गया था कि बीजेपी की कुर्बानी से बीएसपी का एक राज्यसभा सीट जीतने का रास्ता साफ हो गया है।
बीजेपी-बीएसपी के इस प्रेम पर मायावती के विधायक बिफर गए और बुधवार सुबह एसपी मुखिया अखिलेश यादव से मिलने पहुंच गए।
बीएसपी के पांच विधायकों ने बाग़ी तेवर दिखाते हुए राज्यसभा उम्मीदवार रामजी गौतम के लिए रखा प्रस्ताव वापस लेने का एलान किया। बीएसपी विधायकों ने बाकायदा निर्वाचन अधिकारी को लिख कर प्रस्ताव वापस लेने की बात कही।
दरअसल 9 नवंबर को होने वाले इस चुनाव के लिए बीजेपी ने 8 और सपा ने एक उम्मीदवार उतारा है। वहीं 10वीं सीट के लिए जरूरी संख्या न होने के बावजूद बीएसपी के रामजी गौतम ने नामांकन भर दिया है जिसके बाद सपा और कांग्रेस इसे बीएसपी और बीजेपी का आंतरिक गठबंधन एक्सपोज होना बताने लगे हैं। मंगलवार को नामांकन खत्म होने से पहले वाराणसी के व्यापारी प्रकाश बजाज ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन कर दिया जिन्हें समाजवादी पार्टी समर्थन कर रही थी।
बीएसपी-बीजेपी की ‘अंडरस्टैंडिंग’ एक्सपोज़ करने की कोशिश
बसपा से जुड़े सूत्रों का ये भी कहना है कि रामजी गौतम के पहले निर्विरोध चुने जाने के चांस थे लेकिन अंतिम समय एक निर्दलीय उम्मीदवार के नामांकन करने से अब 10वीं सीट पर वोटिंग करानी पड़ेंगी। वहीं, समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वोटिंग होने से बीजेपी और बसपा का ‘अंदरूरनी गठबंधन’ सामने आना चाहिए।
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश उपचुनाव में बसपा कांग्रेस के वोट काटने का पूरा प्रयास कर रही है। दूसरी ओर बीजेपी उसके उम्मीदवार को यूपी से राज्यसभा पहुंचाकर रिटर्न गिफ्ट देने के प्रयास में है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी का साथ देना मायावती की मजबूरी बन गया है। उन पर तमाम मामलों में जांच फिर से शुरू हो सकती है। इस डर से वह अक्सर बीजेपी की ओर नरम हो जाती हैं। वे बीजेपी की खिंचाई के वक्त शब्दों के चयन पर काफी नरम दिखती हैं। वहीं कांग्रेस पर हमेशा अटैकिंग मोड में नजर आती हैं जिस कारण यूपी के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेजी से है कि आखिर बीजेपी और बीएसपी के बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है।
बीएसपी के कुल सात विधायकों ने बगावत की है। बगावत कर अखिलेश के पास पहुंचने वाले विधायक असलम राइनी, असलम अली, मुजतबा सिद्दीकी, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल, वंदना सिंह और हाकिम लाल बिंद रहे।
बजाज का पर्चा खारिज करवाया!
इससे पहले अपनी छीछालेदर होती देख बीजेपी ने तमाम तकनीकी खामियां गिनाते हुए निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन खारिज कराने के लिए जोर लगा दिया। बीएसपी ने भी इसमें बीजेपी का साथ दिया।
बीएसपी में बगावत के बाद विधायक दल के नेता लालजी वर्मा और पार्टी नेता उमाशंकर सिंह ने बयान जारी किया है। लालजी वर्मा ने कहा कि आरोप लगाने वाले विधायक फर्जी बातें कर रहे हैं और वे सभी नामांकन में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि विधायकों पर किसी दूसरी वजह का दबाव है। अखिलेश यादव से मुलाकात पर लालजी वर्मा ने कहा कि उन्होंने कभी एसपी मुखिया से मुलाकात नहीं की। उन्होंने कहा कि दलित समाज का बेटा राज्यसभा में न जा पाए इसलिए एसपी ने उद्योगपति को उम्मीदवार बनवाया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा- ‘गेस्ट हाउस कांड’ मुकदमा वापस लेना गलती, सपा को हराने के लिए किसी को भी सपोर्ट
बसपा सुप्रीमो मायावती में समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है। मायावती ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए भविष्य में यूपी एमएलसी चुनाव में भाजपा या किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देगी।
उन्होंने कहा, “कोई भी उम्मीदवार, जो सपा के उम्मीदवार पर हावी रहेगा, उसे बसपा के सभी विधायकों का वोट ज़रूर मिलेगा।”
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को बगावत करने वाले 7 विधायकों असलम चौधरी, असलम रैनी, मुजतबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद, गोविंद जाटव, सुषमा जाटव और वंदना सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया और समाजवादी पार्टी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड के मामले को वापस लेना उनकी एक ‘गलती’ थी। मायावती ने कहा कि उन्होंने 2 जून 1995 की घटना को किनारे रखकर 2019 में सपा के साथ गठबंधन किया था।
उन्होंने आगे कहा, “इस बार लोकसभा चुनाव में NDA को सत्ता में आने से रोकने के लिए हमारी पार्टी ने सपा सरकार में मेरी हत्या करने के षड्यंत्र की घटना को भूलाते हुए देश में संकीर्ण ताकतों को कमजोर करने के लिए सपा के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था।”
मायावती ने आगे कहा- “सपा के मुखिया गठबंधन होने के पहले दिन से ही एससी मिश्रा जी को ये कहते रहे कि अब तो गठबंधन हो गया है, तो बहनजी को 2 जून के मामले को भूलाकर केस वापस ले लेना चाहिए। चुनाव के दौरान केस वापस लेना पड़ा। चुनाव का नतीजा आने के बाद इनका जो रवैया हमारी पार्टी ने देखा है, उससे हमें ये ही लगा कि केस को वापस लेकर बहुत बड़ी गलती करी और इनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था।”
मायावती ने समाजवादी पार्टी को दलित विरोधी बताते हुए कहा- वह आगामी विधान परिषद के चुनावों में अपनी पार्टी के साथ किए गए गलत कामों का बदला लेंगी, ‘ हम सपा प्रत्याशी की हार सुनिश्चित करेंगे, मैं अखिलेश को बताना चाहती हूं कि उन्होंने हमारी पार्टी को 2003 में भी विभाजित किया था और फिर जनता ने 2007 में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था।’
