हमें उन्माद से बाहर निकलना होगा

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आपको सिखाया जा रहा है कि भारतीय राष्ट्र पर भरोसा मत कीजिए। किसी कठमुल्ले पर भरोसा कीजिए। आईएसआईएस और तालिबान भी अपने लोगों को ऐसे ही बरगलाता है कि हमारे धर्म पर खतरा है, हथियार उठा । डर फैलाने वाले भारतीयता के दुश्मन हैं। वे आपको बता रहे हैं कि देश की पुलिस और सुरक्षा बल आपकी सुरक्षा नहीं कर पाएंगे। ऐसा करने वाले लोग कुंठित होते हैं। कट्टर धार्मिकों ने दुनिया मे कहीं पर कोई अच्छा देश या समाज नहीं बनाया है। आप इस उन्मादी राजनीति के साथ खड़े होकर अपना खूबसूरत लोकतंत्र खो रहे हैं।

एक युवक ने आन्दोलनकारियों पर गोली चलाई, यह जितना दुखद है उससे कहीं अधिक दुखद घटना यह है कि उसे सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। गोली चलाने वाले रामभक्त को गोडसे की तरह देशभक्त बताया गया है और उसे समानित किया जाएगा। गांधी की हत्या करने के बाद देश भर में कई जगह मिठाइयां बांटी गई थीं। आज 72 साल बाद गांधी की हत्या को ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है और गोडसे को देशभक्त बताया जा रहा है। आज फिर से मिठाइयां और खीर बांटकर गांधी की हत्या का जश्न मनाया जा रहा है।

ऐसा करने वालों पर सवाल भी नहीं उठता है। उन्हें सत्ता का समर्थन हासिल है। पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति खड़ी चुपचाप देख रही है कि जिस देश को उन्होंने अभूतपूर्व साहस के साथ
एकजुट किया था, उसके दामन पर गोलियां दागी जा रही हैं और गांधी का शरीर फिर से छलनी हो रहा है।

हिंदुओं के नाम पर दुकान चलाने वाले कह रहे हैं कि गोली चलाने वाला गोडसे की तरह देशभत है। गोडसे देशभक्त था तो गांधी क्या थे? देश के गद्दार? क्या देश का हिंदू गांधी को गद्दार और गोडसे को देशभक्त मानता है? क्या देश का हिंदू भी अब हत्याओं का जश्न मनाकर दैत्य और पिशाच हो जाना चाहता है? गांधी देश के गद्दार थे तो भारत के मुखिया के रूप में हमारे
प्रधानमंत्री गांधी को श्रद्धांजलि देने क्यों गए? अगर वे गांधी को राष्ट्रपिता और देश का नायक मानते हैं तो क्या इस संगठन पर कार्रवाई करेंगे?

नहीं, वे ऐसा नहीं करेंगे। दरअसल, वे दो मोर्चे पर लड़ाई लड़ रहे हैं। वे 1948 में मारे जा चुके उस बूढ़े से भी लड़ रहे हैं जो सत्य और अहिंसा के प्रतीक पुरुष के रूप में, दुनिया भर में भारत का प्रतिनिधि बनकर मौजूद है। वे गोडसे का महिमामंडन भी होने दे रहे हैं, वे मिठाई और खीर भी बंटने दे रहे हैं, वे गोडसे को देशभक्त बताने वाली को मंत्रिमंडल में रखे हुए हैं, वे श्रद्धांजलि भी दे रहे हैं। गोडसे के समर्थक उस उदार और लोकतांत्रिक भारत से भी लड़ रहे हैं जो हिंसा और आतंक के विरोध में है। वे उस भारत से भी लड़ रहे हैं जहां कानून का शासन है। इसलिए उन्होंने गांधी को श्रद्धांजलि भी दी है और गोडसे को देशभक्त भी बता दिया है।

आप गांधी को देश का दुश्मन घोषित कर दीजिए। आप गोडसे को राष्ट्रपिता घोषित कर दीजिए। आप ‘हत्या’ का नाम बदलकर ‘देशभक्त’ कर दीजिए। इतिहास में दर्ज हो चुका है कि यह देश
कितना कृतघ्न है! पहले आपने अपने देश के नायक को मार दिया था। अब 72 साल बाद उसकी विरासत, विचार और उसके देश को मारने का प्रयत्न कर रहे हैं। आप गांधी की हत्या का जश्न नहीं मना रहे हैं, आप गांधी की हत्या को शौर्य बताकर अपने बच्चों को पितृहंता और हत्यारा बना रहे हैं। आप इसे ‘न्यू इंडिया’ कहेंगे, दुनिया इसे नरकिस्तान कहेगी।

गांधी की हत्या पर मिठाई बांटने की मानसिकता हर तरह के आतंक और हिंसा को फूलों का हार पहना रही है। यह हत्याप्रेमी मानसिकता नस्लवाद, नफरत और नारकीयता को समानित करके उसकी मेनस्ट्रीमिंग कर रही है। हत्यारी भीड़ को माला पहनाने, उसका समान करने के आगे यह छोटा दुख है कि एक युवक बालिग होने के पहले दहशतगर्दी की राह चला गया। उसे धकेला गया। मैं जानता हूं कि यह सब लोगों के समझ में कम आता है। वह लडक़ा जब शाहीन बाग में गोली चलाने जा रहा था, उसके पहले उसे हजारों लोगों ने प्रोत्साहित किया। इसी तरह के तमाम बच्चों में ज़हर फैलाया रहा है। यह समाज का कैंसर है। यह जहर मार नहीं दिया गया तो पूरी पीढ़ी को तबाह
करेगा।

एक केंद्रीय मंत्री कह रहा है कि हमें वोट दो, वरना ये जो सरकार का विरोध करने वाले लोग हैं, ये आपकी बहन बेटियों को उठा ले जाएंगे। हमारे कुछ युवा इस काल्पनिक डर के चपेट में आ रहे हैं। एक केंद्रीय मंत्री नारे लगवा रहा है कि … गोली मारो सालों को, ऐसे नारों से हमारे युवाओं का उन्मादी हो जाना लाजिमी है। यह डर का कारोबार है। यह मजहबी दहशत का कारोबार है। अगर समाज मे कोई भय है तो कानून का शासन इससे निपटने में सक्षम है। लेकिन आपको सिखाया
जा रहा है कि भारतीय राष्ट्र पर भरोसा मत कीजिए। किसी कठमुल्ले पर भरोसा कीजिए। आईएसआईएस और तालिबान भी अपने लोगों को ऐसे ही बरगलाता है कि हमारे धर्म पर
खतरा है, हथियार उठा लो।

डर फैलाने वाले भारतीय सुरक्षा तंत्र के दुश्मन हैं। वे आपको बता रहे हैं कि देश की पुलिस और सुरक्षा बल आपकी सुरक्षा नहीं कर पाएंगे। ऐसा करने वाले लोग कुंठित होते हैं। कट्टर धार्मिकों ने दुनिया मे कहीं पर कोई अच्छा देश या समाज नहीं बनाया है। हम आप एक ऐसे सुंदर देश के लोग हैं जो तमाम कमियों के साथ सफलतापूर्वक सात दशक से चल रहा है। आप इस उन्मादी राजनीति के साथ खड़े होकर अपना खूबसूरत लोकतंत्र खो रहे हैं।

मैं हमारे सुंदर और मजबूत कल की बात कर रहा हूं, मैं हमारे मजबूत और लोकतांत्रिक देश की बात कर रहा हूं, मैं जानता हूं कि यह बहुत कम लोगों को पसंद आएगा। फिर भी कहने का मन
करता है कि नागरिकों के हाथ मे पिस्तौल हमारे समाज को हर हाल में जलाएगी। अपने बच्चों को और खुद को इस धार्मिक- राजनीतिक जहर से बचा लीजिए।

आलोक शुक्ल

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