लोकतंत्र के नये तीर्थ शहर-शहर “शाहीन बाग”
हर शहर, हर कस्बा और हर गांव शाहीन बाग बनता जा रहा है। मुल्क के 400 से ज्यादा शहरों और कस्बों की महिलाएं शाहीन बाग से प्रेरणा लेकर बीजेपी की राजनीति और सत्ता को चुनौती दे रही हैं। यह आंदोलन का प्रभाव ही है कि सीएए के विरोध में देश में विभिन्न शहरों में चल रहे महिलाओं के आंदोलन को दूसरे शाहीन बाग के नाम से पुकारा जाने लगा है।
देश की राजधानी में अपनी बात रखने और विभिन्न मुद्दों पर विरोध-प्रदर्शन करने के लिए भले ही जंतर-मंतर को जाना जाता हो पर आज की तारीख में सीएए-एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे आंदोलन ने जो मुकाम हासिल किया है वह जंतर-मंतर को पीछे छोड़ता प्रतीत हो रहा है। भले ही भाजपा की आईटी सेल के शाहीन बाग आंदोलन में 500-500 रुपये देकर भीड़ इक_ी करने की बात बात की जा रही हो पर शाहीन बाग आंदोलन ने जो मुकाम हासिल किया है, उसे पैसे की भीड़ नहीं कहा जा सकता है।
शाहीन बाग का आंदोलन यों तो सीएए और एनआरसी के विरोध में है लेकिन यहां पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के अपने बच्चों के साथ बैठे होने से यह आंदोलन बाकी के आंदोलनों से काफी अलग है, बेमिसाल है। अब तक हमें असर हेडलाइन देखने को मिलती थी, ‘महिलाओं ने ‘भीÓ भारी सं
या में शिरकत कीÓ लेकिन इस धरने में महिला ही अगुवा हैं। दूसरी अहम बात है कि पहचान को तरसती सियासत के इस दौर में ये आन्दोलन किसी धर्म या जाति विशेष पर आधारित नहीं है, बल्कि भारतीय नागरिकता पर प्रहार के खिलाफ है। तीसरी बात, कि ये आन्दोलन देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस आंदोलन के डेढ़ महीने से ज्यादा बीतते बीतते अब देश में यह स्थिति बन गई है कि हर शहर, हर कस्बा और हर गांव शाहीन बाग बनता जा रहा
है। एक सर्वे के मुताबिक मुल्क के 400 से ज्यादा शहरों और कस्बों की महिलाएं शाहीन बाग से प्रेरणा लेकर बीजेपी की राजनीति और साा को चुनौती दे रही हैं। यह आंदोलन का प्रभाव ही है कि सीएए के विरोध में देश में विभिन्न शहरों में चल रहे महिलाओं के आंदोलन को दूसरे शाहीन बाग के नाम से पुकारा जाने लगा है।
लखनऊ का घंटाघर, इलाहाबाद का मंसूर पार्क, बरेली का इस्लामिया कॉलेज, कानपुर का मो. अली पार्क, एएमयू का बाग-सर सैयद, देवबंद का इदगाह मैदान और इकबाल मैदान, संभल का पका पाक, भोपाल की सेंट्रल लाइब्रेरी, बडवाली चौक, मानिक बाग, इंदौर का खजराना, कोचीन का आजाद स्कावायर, नागपुर का संविधान चौक, पुणे कौंढूआ, अहमदाबाद का पौखियाल, कोटा का किशोरपुरा, औरंगाबाद, हैदराबाद की टोल चौकी, कोलकाता के
पार्क सर्कस से लेकर रांची तक महिलाओं के धरना का सिलसिला जारी है। बिहार के १७ जिलों में आन्दोलन : बिहार के 17 से अधिक जिलों में महिलाएं धरने पर बैठी हैं। गया के शांति बाग से लेकर मोतिहारी, बेतिया, बेगूसराय, नालंदा, मुजफरपुर, गोपालगंज, सीवान, दरभंगा, मधुबनी, भागलपुर, किसनगंज, पूर्णिया, अररिया आदि शहरों में प्रदर्शन का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।