चुन-चुन कर सत्ता विरोधियों पर डाले जा रहे हैं ईडी और आयकर के छापे

Read Time: 12 minutes

● विजय शंकर सिंह

आयकर और ईडी के छापे 2014 के पहले भी पड़ते थे और अब भी पड़ रहे हैं तथा आगे भी पड़ते रहेंगे। पर यह छापे अधिकतर व्यपारियों या संदिग्ध लेन देन करने वालों, आय से अधिक संपत्ति की जांच में दोषी या संदिग्ध पाए जाने वाले अफसरों पर पड़ते थे। तब इन छापों की खबरों पर कोई बहुत ध्यान नहीं देता था और न ही जिन पर यह छापा पड़ता था, उनके प्रति कोई सहानुभूति, अधिकांश जनता के मन में उपजती थी। आयकर और ईडी के छापों तथा पुलिस के छापों में मूल अंतर यह होता है कि पुलिस के छापे आपराधिक मामलों में लिप्त या संदिग्ध लोगों पर पड़ते हैं और जो भी सूचना मिलती है उसी के आधार पर तत्काल डाले जाते हैं जबकि आयकर के छापे काफी होमवर्क करने के बाद और निर्धारित टारगेट के सभी ठिकानों पर एक साथ डाले जाते हैं और वे लंबी अवधि तक चलते हैं । पुलिस के छापों की सफलता का प्रतिशत बहुत अधिक नहीं होता है, जबकि आयकर के छापे कम ही असफल होते हैं क्योंकि वे, छापा डालने के पहले काफी छानबीन करते हैं और उनके छापे विवादित भी कम ही होते हैं।  

पर 2014 के बाद पड़ने वाले आयकर और ईडी के छापों के बारे में एक आम धारणा यह बन रही है कि यह छापे विभागीय प्रोफेशनल दायित्व के बजाय जानबूझकर किसी पोशीदा एजेंडा के अंतर्गत डाले जा रहे हैं। जैसे इस समय जो व्यक्ति, संस्थान या संगठन, वर्तमान सत्ता के विपरीत है, या सरकार का आलोचक है उसके यहां छापा डाला जा रहा है। अब छापे में क्या मिल रहा है या छापे के बाद क्या कार्यवाही हुयी यह तो बाद की बात है, पर छापे के उद्देश्य, टाइमिंग और लक्ष्य पर काफी सवाल सोशल मीडिया में उठाये जाने लगे हैं।

अमूमन आयकर या ईडी के विभागों में राजनीतिक दखलंदाजी बहुत अधिक नहीं होती है, विशेषकर उनके प्रोफेशनल कामकाज के संबंध में, और यदि कुछ  होता भी है, तो वह हस्तक्षेप दिखता भी कम ही है। पर अब, जैसे ही छापे की खबर आती है, और लक्ष्य का नाम सामने आता है, यह अनुमान लगाना कठिन नहीं रहता है कि वह छापा किस उद्देश्य से डाला गया है और क्यों डाला गया है। 

ऐसे में सबसे अधिक असहज स्थिति छापा डालने वाले विभागों और उनके अफसरों की होती है जो यदि उचित कारणों से अपनी कार्यवाही कर भी रहे हैं तो उस पर संशय की अनेक अंगुलियां उठती रहती हैं। संशय की अंगुलियों से असहज हो जाने वाले अफसरों की मनोदशा का अनुमान आप लगा सकते हैं। 

2014 के बाद बड़े पूंजीपति या वे पूंजीपति जो सत्ता के नज़दीक हैं, के घर और अन्य ठिकानों पर, आज तक न तो किसी छापे की खबर आई और न ही किसी सर्वे की। यदि कोई यह तर्क दे कि उनके यहाँ कोई अनियमितता या चोरी नहीं होती है तो यह तर्क अपने आप में ही हास्यास्पद बचाव होगा। लेकिन 2014 के बाद छापे पड़े, मीडिया संस्थानों पर, जिन पर अमूमन छापे कम ही पड़ते हैं, उन शख्सियतों पर, जो सरकार के मुखर आलोचक हैं और उन संस्थाओं पर जो सरकार की वैचारिकी से अलग या विपरीत राय रखते हैं। हाल ही में पड़ने वाले, कुछ महत्वपूर्ण छापों में द वायर, न्यूज़क्लिक, न्यूजलॉन्ड्री, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, जैसे मीडिया संस्थानों पर पड़ने वाले छापे हैं। ‘द वायर’ तो शुरू से ही सत्ता विरोधी रुख रखता रहा है।

उस के कार्यालय में तो, पेगासस जासूसी मामले में लगातार खुलासा करने के कारण, विनोद दुआ का नाम लेकर उन्हें तलाशती हुयी पुलिस भी गयी थी। दैनिक भास्कर और भारत समाचार पर महामारी से होने वाली मौतों पर लगातार रिपोर्टिंग से सरकार असहज थी, तो उनके यहां भी छापा पड़ा। हालांकि सरकार ने इन छापों को, रूटीन कार्यवाही कहा पर इस बयान के पीछे छिपे असल निहित और स्वार्थी सरकारी उद्देश्य की पहचान कर लेना कठिन नहीं था। इसमें, भास्कर कोई सत्ता विरोधी मनोवृत्ति का अखबार नहीं है लेकिन जब उसने खबरें सत्ता के खिलाफ छापनी शुरू की तो, उस पर भी नज़रें टेढ़ी हुईं। जहां तक न्यूज़क्लिक और न्यूजलांड्री का सवाल है, यह दोनों वेबसाइट सत्ता के खिलाफ मुखर रहती हैं और इनकी खबरों से सरकार अक्सर असहज भी होती है। इनकी भी खबर सरकार ने ली।

हाल के छापों में न्यूज़क्लिक पर छापा खबरों में बहुत अधिक रहा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमें 100 से ज्यादा घंटों तक न्यूजक्लिक के एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ और लेखक गीता हरिहरण (जो कि पोर्टल में शेयरहोल्डर भी हैं) के घर पर छापे मारने के बाद वापस गयी। 

सौ घँटों की अवधि पर हैरान न हों, आयकर और ईडी के छापे अक्सर लंबी अवधि तक चलते हैं क्योंकि वे कर चोरी और वित्तीय अनियमितता से जुड़े होते हैं, अक्सर दस्तावेजों और कम्यूटर और अन्य तकनीकी उपकरणों की पड़ताल और उन्हें डिकोड आदि करने में समय लगता है। न्यूज़क्लिक ऑनलाइन न्यूज पोर्टल के करीब 10 परिसरों पर ईडी का छापा एक साथ शुरू हुआ था। इन छापों के बारे में, ईडी ने कहा है कि न्यूजक्लिक पर छापेमारी कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ी हुई है और एजेंसी संगठन को विदेशों की संदिग्ध कंपनियों से धन मिलने की जांच कर रही है।

न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और वे 1977 की इमरजेंसी के समय में, छात्र आंदोलन में जेल भी जा चुके हैं। जबकि, हरिहरण जानी-मानी लेखिका हैं और उन्हें उनके पहले उपन्यास, ‘द थाउजेंड’ के लिए कॉमनवेल्थ राइटर्स प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है। न्यूजक्लिक और उसके पत्रकारों के खिलाफ पहली छापेमारी, 9 फरवरी को ही हुयी थी। हाल की इस छापेमारी में, ईडी की अलग-अलग टीमों ने दिल्ली और यूपी के गाजियाबाद में 10 परिसरों में छापा डाला। इनमें न्यूजक्लिक का दक्षिण दिल्ली स्थित सैदुल्लाजाब स्थित ऑफिस भी शामिल था। इसके अलावा न्यूजक्लिक की पैरेंट कंपनी पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो पर भी छापेमारी की गई। 

अब इधर सबसे बड़ी खबर छापों के बारे में आयी कि रिटायर्ड आईएएस अफसर हर्ष मन्दर के यहां छापा पड़ा है। 16 सितंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और दफ्तर पर छापेमारी की है। ईडी ने सुबह करीब आठ बजे वसंत कुंज स्थित उनके घर, अधचीनी में उनके एनजीओ सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज और महरौली स्थित बाल गृह पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई तब हुई है जब हर्ष मंदर और उनकी पत्नी नौ महीने की फेलोशिप के लिए जर्मनी के रोबर्ट बोस्च अकादमी गए हैं। पता चला है, कि यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले को लेकर की गई है। फरवरी में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीएसई) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। यह केस दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज किया गया था। 

हाल ही में हर्ष मंदर ने एक किताब, ‘दिस लैंड इज माइन, आई एम नॉट ऑफ दिस लैंड’ का संपादन किया था। यह किताब सीएए और नागरिकता पर लिखे लेखों का संग्रह है। साल 2020 में दिल्ली पुलिस ने हर्ष का नाम उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों से संबंधित चार्जशीट में भी दर्ज किया था। इसकी निंदा करते हुए देश भर के करीब 160 प्रमुख शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं और कलाकारों ने उनके समर्थन में बयान जारी किया था। अक्टूबर 2020 में एनसीपीसीआर ने दिल्ली में दो बाल गृहों- उम्मीद अमन घर और खुशी रेनबो होम पर छापा मारा था, यह जानने के लिए कि कहीं यहां से किसी ने नागरिकता (संशोधन) बिल के विरोध में भाग तो नहीं लिया था। 

इन्हीं छापों के क्रम में एक चर्चित छापा फ़िल्म अभिनेता सोनू सूद के यहाँ पड़ा छापा है। सोनू ने लॉक डाउन के दौरान कामगारों के पलायन के समय खुलकर समाज सेवा से जुड़े थे। सरकार तो उस अवसर पर कहीं दिखी ही नहीं। यहां तक कि प्रधानमंत्री की घोषणा कि, बंदी के दौरान कामगारों को उनका वेतन दिया जायेगा, पर भी सरकार अमल नहीं करा सकी। जब सुप्रीम कोर्ट में पलायन का मामला उठा तो सरकार ने झूठ बोला कि कोई मजदूर सड़क पर नहीं है। जबकि लगभग 700 कामगार सड़कों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल या जो भी साधन मिला, उससे अपने घर जाते हुए रास्ते में ही मर गए। जब पूंजीपतियों ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी की अवधि का वेतन देने में वित्तीय असमर्थता का रोना रोया तो, सरकार उस समय गरीब कामगारों के पक्ष में नहीं, बल्कि वह पूंजीपतियों के पक्ष में खड़ी हुई और वेतन देने के लिये सरकार ने पूंजीपतियों पर कोई ज़ोर नहीं दिया। ऐसे कठिन समय में देश की बहुत सी सामाजिक संस्थाएं और लोग कामगारों की मदद के लिये आगे आये थे। सोनू सूद भी उनमें से एक थे। सोनू अपनी सक्रियता से लोकप्रिय भी हुये। इस समय वह आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं। ऐसे समय में, उन पर, अचानक पड़ा यह छापा सरकार के इरादे के खिलाफ संदेह ही दर्शाता है। 

जिनके यहां छापा पड़ा है, हो सकता है उनके खिलाफ शिकायतें भी हों और उन शिकायतों में दम भी हो, पर जिनके यहां छापा पड़ा है, उन सबमें एक चीज समान है कि सभी की विचारधारा सरकार विरोधी है। आखिर क्या कारण है कि जो प्रतिष्ठान, संस्था और व्यक्ति सरकार के मुखर आलोचक हैं, उनके ही खिलाफ शिकायतें मिली हैं और उन्हीं के खिलाफ छापे भी पड़े हैं ? ऐसा तो है नहीं कि, आजतक, ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी आदि न्यूज चैनल और दैनिक जागरण जैसे अखबार जो सरकार के प्रचार माध्यम तंत्र के रूप में लगभग बदल चुके हैं, वित्तीय रूप से बेहद साफ सुथरे हैं और उनके यहां कोई वित्तीय अनियमितता नहीं है ? क्या सरकार ने उनके यहां सर्वे कर के उन्हें पाक साफ पा लिया है, या वे सरकार के पाल्य हैं ?  यदि यही छापे सभी मीडिया संस्थान और अखबारों पर उनकी वित्तीय अनियमितता के बारे में छानबीन के लिये पड़ते तो इन छापों पर शायद ही चर्चा होती। पर यह छापे छांट छांट के बेहद ग़ैरपेशेवर तरीके से सिर्फ उन्ही लक्ष्यों पर डाले जा रहे हैं जो सरकार के खिलाफ हैं तो, संदेह तो उठेगा ही और चर्चा भी होगी।

अगर भ्रष्टाचार की बात करें तो पनामा पेपर्स का खुलासा साल 2017 के अप्रैल में हुआ था। पनामा पेपर्स की लिस्ट में विश्वभर के तमाम लोगों के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम सामने आया था। पनामा पेपर्स में नाम होने के कारण आइसलैंड के प्रधानमंत्री को भी अपनी कुर्सी गवानी पड़ी थी। इस लिस्ट में भारत की भी 500 से ज्यादा नामी गिरामी हस्तियों के नाम मौजूद हैं जो भारत से लगभग हर क्षेत्र से हैं। इनमें अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन का नाम है तो बड़े कॉर्पोरेट घरानों में डीएलएफ के मालिक केपी सिंह तथा उनके परिवार के 9 सदस्य, अपोलो टायर्स और इंडिया बुल्स के प्रमोटर और गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम भी इस सूची में शामिल है।

बंगाल के एक नेता शिशिर बजोरिया के अलावा लोकसत्ता पार्टी के नेता अनुराग केजरीवाल का भी नाम सामने आया है। तब तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा था कि, भारतीयों की जांच करने के लिए  एक मल्टी-एजेंसी ग्रुप (मैग) का गठन किया गया था और वह अपना काम भली भांति कर रही है। अब यहीं यह सवाल उठता है इस पनामा लीक मामले की जांच में क्या कार्यवाही हुयी ? कोई दोषी मिला या नहीं ? क्या इस मामले में जुड़े व्यक्ति, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, विनोद अडानी या अन्य के ऊपर सर्वे या छापा जो भी आप कह लें मारने की हिम्मत आयकर या ईडी में है ? आज की स्थिति में तो बिल्कुल ही नहीं है। 

अक्सर कहा जाता है कि, छापों से करचोरी और वित्तीय अनियमितता करने वालों में भय उपजता है और ईमानदारी से कर अदा करने वाले विधिपालक नागरिकों में सिस्टम के प्रति सम्मान पैदा होता है। 

यह बात सही भी है। पर छापे ही किसी सिस्टम से नहीं, या सिस्टम तोड़ कर, डाले जाएं तो इनका क्या असर जनता और ईमानदार कर दाताओं पर पड़ेगा ? क्या यह छापे वित्तीय अनियमितता को उजागर करने के लिये डाले जा रहे हैं या इस छापों के माध्यम से सत्ता विरोधी खेमे में यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि, यदि खिलाफ हुए तो बख्शे नहीं जाओगे। वर्तमान समय में जो भी छापे आयकर और ईडी के डाले जा रहे हैं उनसे इसी बात की पुष्टि होती है कि यह छापे भयादोहन की रणनीति के अंतर्गत है, विशेषकर वे छापे जो अखबारों और मीडिया के ऊपर डाले जा रहे हैं। 

लंबे समय में पुलिस में राजनीतिक दखलंदाजी की चर्चा होती रहती है और उस दखलंदाजी को कम करने के रास्ते सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभाग के आला अफसर तक ढूंढ रहे हैं। पर न तो वह दखलंदाजी कम हो रही है और न ही विभाग हिज मास्टर्स वॉयस के संक्रमण से बाहर आ रहा है। अब यही दखलंदाजी आयकर और ईडी में भी संक्रमित हो रही है। सीबीआई तो तोता घोषित हो ही चुकी है। लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ और प्रतिशोध के रूप में यदि होता रहा तो इन संस्थाओं के पेशेवर कामकाज पर बहुत विपरीत असर पड़ेगा। इससे उन अफसरों और कर्मचारियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा, जो एक प्रोफेशनल तरीके से अपना दायित्व औऱ कर्तव्य निभाना चाहते हैं।

राजनीतिक दलों को यह स्वीकार करना पड़ेगा कि, कानून लागू करने वाली एजेंसियों को राजनीतिक द्वेष, प्रतिशोध और लाभ हानि का माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिये। इसका परिणाम घातक ही होगा। यह प्रतिशोध का एक ऐसा अंतहीन सिलसिला शुरू कर देगा, जो राजनीतिक जमात के लिये भी कम घातक नहीं होगा और अपने उद्देश्य के लिये गठित यह लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियां, अपने लक्ष्य, दायित्व और कर्त्तव्य से विचलित हो जाएंगी। 

(विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।) 

3 thoughts on “चुन-चुन कर सत्ता विरोधियों पर डाले जा रहे हैं ईडी और आयकर के छापे

  1. Hi, Eric here with a quick thought about your website purvastar.com…

    I’m on the internet a lot and I look at a lot of business websites.

    Like yours, many of them have great content.

    But all too often, they come up short when it comes to engaging and connecting with anyone who visits.

    I get it – it’s hard. Studies show 7 out of 10 people who land on a site, abandon it in moments without leaving even a trace. You got the eyeball, but nothing else.

    Here’s a solution for you…

    Talk With Web Visitor is a software widget that’s works on your site, ready to capture any visitor’s Name, Email address and Phone Number. You’ll know immediately they’re interested and you can call them directly to talk with them literally while they’re still on the web looking at your site.

    CLICK HERE https://boostleadgeneration.com to try out a Live Demo with Talk With Web Visitor now to see exactly how it works.

    It could be huge for your business – and because you’ve got that phone number, with our new SMS Text With Lead feature, you can automatically start a text (SMS) conversation – immediately… and contacting someone in that 5 minute window is 100 times more powerful than reaching out 30 minutes or more later.

    Plus, with text messaging you can follow up later with new offers, content links, even just follow up notes to keep the conversation going.

    Everything I’ve just described is extremely simple to implement, cost-effective, and profitable.

    CLICK HERE https://boostleadgeneration.com to discover what Talk With Web Visitor can do for your business.

    You could be converting up to 100X more eyeballs into leads today!

    Eric
    PS: Talk With Web Visitor offers a FREE 14 days trial – and it even includes International Long Distance Calling.
    You have customers waiting to talk with you right now… don’t keep them waiting.
    CLICK HERE https://boostleadgeneration.com to try Talk With Web Visitor now.

    If you’d like to unsubscribe click here http://boostleadgeneration.com/unsubscribe.aspx?d=purvastar.com

  2. *INFO SERVICE EXPIRATION FOR purvastar.com

    Attention: Accounts Payable / Domain Owner / चुन-चुन कर सत्ता विरोधियों पर डाले जा रहे हैं ईडी और आयकर के छापे – Purva Star

    Your Domain: http://www.purvastar.com
    Expected Reply before: January 6th,2023.

    This Notice for: http://www.purvastar.com will expire on January 6th,2023.

    *For details and to make a payment for purvastar.com services by credit card:
    Visit: https://whats-ip.com/

  3. Hey there, I just found your site, quick question…

    My name’s Eric, I found purvastar.com after doing a quick search – you showed up near the top of the rankings, so whatever you’re doing for SEO, looks like it’s working well.

    So here’s my question – what happens AFTER someone lands on your site? Anything?

    Research tells us at least 70% of the people who find your site, after a quick once-over, they disappear… forever.

    That means that all the work and effort you put into getting them to show up, goes down the tubes.

    Why would you want all that good work – and the great site you’ve built – go to waste?

    Because the odds are they’ll just skip over calling or even grabbing their phone, leaving you high and dry.

    But here’s a thought… what if you could make it super-simple for someone to raise their hand, say, “okay, let’s talk” without requiring them to even pull their cell phone from their pocket?

    You can – thanks to revolutionary new software that can literally make that first call happen NOW.

    Talk With Web Visitor is a software widget that sits on your site, ready and waiting to capture any visitor’s Name, Email address and Phone Number. It lets you know IMMEDIATELY – so that you can talk to that lead while they’re still there at your site.

    You know, strike when the iron’s hot!

    CLICK HERE http://boostleadgeneration.com to try out a Live Demo with Talk With Web Visitor now to see exactly how it works.

    When targeting leads, you HAVE to act fast – the difference between contacting someone within 5 minutes versus 30 minutes later is huge – like 100 times better!

    That’s why you should check out our new SMS Text With Lead feature as well… once you’ve captured the phone number of the website visitor, you can automatically kick off a text message (SMS) conversation with them.

    Imagine how powerful this could be – even if they don’t take you up on your offer immediately, you can stay in touch with them using text messages to make new offers, provide links to great content, and build your credibility.

    Just this alone could be a game changer to make your website even more effective.

    Strike when the iron’s hot!

    CLICK HERE http://boostleadgeneration.com to learn more about everything Talk With Web Visitor can do for your business – you’ll be amazed.

    Thanks and keep up the great work!

    Eric
    PS: Talk With Web Visitor offers a FREE 14 days trial – you could be converting up to 100x more leads immediately!
    It even includes International Long Distance Calling.
    Stop wasting money chasing eyeballs that don’t turn into paying customers.
    CLICK HERE http://boostleadgeneration.com to try Talk With Web Visitor now.

    If you’d like to unsubscribe click here http://boostleadgeneration.com/unsubscribe.aspx?d=purvastar.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related

माफीनामों का ‘वीर’ : विनायक दामोदर सावरकर

Post Views: 124 इस देश के प्रबुद्धजनों का यह परम, पवित्र व अभीष्ट कर्तव्य है कि इन राष्ट्र हंताओं, देश के असली दुश्मनों और समाज की अमन और शांति में पलीता लगाने वाले इन फॉसिस्टों और आमजनविरोधी विचारधारा के पोषक इन क्रूरतम हत्यारों, दंगाइयों को जो आज रामनामी चद्दर ओढे़ हैं, पूरी तरह अनावृत्त करके […]

ओवैसी मीडिया के इतने चहेते क्यों ?

Post Views: 116 मीडिया और सरकार, दोनो के ही द्वारा इन दिनों मुसलमानों का विश्वास जीतने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें सही समय पर बताया जा सके कि उनके सच्चे हमदर्द असदउद्दीन ओवैसी साहब हैं। ● शकील अख्तर असदउद्दीन ओवैसी इस समय मीडिया के सबसे प्रिय नेता बने हुए हैं। उम्मीद है […]

मोदी सरकार कर रही सुरक्षा बलों का राजनीतिकरण!

Post Views: 68 ● अनिल जैन विपक्ष शासित राज्य सरकारों को अस्थिर या परेशान करने के लिए राज्यपाल, चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आदि संस्थाओं और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग तो केंद्र सरकार द्वारा पिछले छह-सात सालों से समय-समय पर किया ही जा रहा है। लेकिन […]

error: Content is protected !!
Designed and Developed by CodesGesture