कोरोना त्रासदी में जब लोग मर रहे हैं तब आरएसएस के स्वयंसेवक कहाँ हैं?

Read Time: 6 minutes

जब दिल्ली, लखनऊ से लेकर मुंबई, अहमदाबाद तक कोरोना से हाहाकार मचा हुआ था, अस्पतालों में बिस्तर नहीं थे, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो रहे थे तब आरएसएस स्वयंसेवक कहाँ थे? और अभी भी क्यों नहीं कहीं दिख रहे हैं?

● आलोक शुक्ल

अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही कोरोना की दूसरी लहर तेज होना आरंभ हुई जो महीने के मध्य तक जाते जाते कहर बन कर टूट पड़ी। दिल्ली, लखनऊ से लेकर मुंबई, अहमदाबाद तक चारो ओर कोरोना से कोहराम मच गया था। अस्पतालों में बिस्तर नहीं थे, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो रहे थे, दवाइयाँ मिलना मुश्किल हो गया था, हर तरफ मौत का आलम था। मरीजों के परिजन दर-दर की ठोकरें खा रहे थे; सरकार से गुहार लगा रहे थे, मदद के लिए पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं को ट्वीट कर रहे थे तथा भगवान से प्रार्थना कर रहे थे, तब स्वयं को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बताने वाला आरएसएस ग़ायब था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देशभर में 55000 शाखाएँ लगाने और लाखों संगठित तथा प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के होने का दावा करता है लेकिन जब देश महामारी की त्रासदी से गुजर रहा था तब इतने विशाल ‘संघ’ के गतिविधियों की कोई ख़बर नहीं थी।

जब ऑक्सीजन, बेड और एंबुलेंस नहीं मिल रहे थे, तब ‘राष्ट्रसेवा’ के लिए समर्पित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कहाँ था? क्या आरएसएस ऑक्सीजन नहीं उपलब्ध करा सकता था? जब दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता ऑक्सीजन, प्लाज्मा और दवाएं मरीजों तक पहुँचा सकते थे तो सत्ताधारियों का पितृ संगठन क्यों नहीं?

फ़ोटो साभार : फ़ेसबुक

कोरोना आपदा की दूसरी लहर में पूरी तरह से ग़ायब रहने वाले ‘मातृभूमि की निस्वार्थ भाव से सेवा करने’ वाले संगठन पर जब यह सवाल उछाला गया तो कुछ स्वयं सेवकों को सिलेंडर ले जाते हुए एक तस्वीर में देखा गया। सेवा की खातिर इस तस्वीर को सोशल मीडिया में वायरल किया गया था! लेकिन, इस तस्वीर के वायरल होते ही भेद खुल गया कि स्वयं सेवकों के हाथ में आक्सीजन की बजाय कार्बन डाई ऑक्साइड का सिलेंडर था। इससे संघ की खूब भद पिटी।

इस देशव्यापी आपदा की दूसरी लहर के पहले, लगभग एक साल से पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही है। अव्वल तो चुस्त-दुरुस्त सरकारी व्यवस्था और आधुनिक चिकित्सा पद्धति से दुनिया के अधिकांश देश कोरोना संकट से लगभग उबर चुके हैं। लेकिन वायरस विशेषज्ञों द्वारा भारत में दूसरी लहर की चेतावनी के बावजूद संघ के प्रचारक रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न तो स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार किया और न ही स्पेशल अस्पताल बनवाये।

गाँवों के लिए तो कोई इंतज़ाम किए ही नहीं गए। जबकि भारत की अधिकांश आबादी गाँवों में रहती है। गाँवों में न टेस्टिंग की सुविधा हुई और न सरकारी अस्पतालों को दुरुस्त किया गया। तो इससे एक सवाल यह भी उठा कि क्या पन्ना प्रमुख बनाने वाली पार्टी को भारत के नागरिकों की कोई परवाह नहीं है? दरअसल, सच यही है कि नागरिक उसके लिए महज वोटर हैं।

संघ गाँव-गाँव तक अपनी पहुँच होने का दावा करता है। लेकिन जब कोरोना का ख़तरा गाँवों में बढ़ रहा था तब संघ के स्वयंसेवक ना जाने कहाँ दुबके हुए थे?

होना तो यह चाहिए था कि स्कूलों की सबसे बड़ी श्रृंखला चलाने वाला संघ अपने स्कूलों को आइसोलेशन सेंटर में तब्दील कर देता, लेकिन उसने यह नहीं किया। जब देश में एंबुलेंस की कमी थी, मरीज तड़प रहे थे, परिजन परेशान थे, उस समय संघ ने अपनी हजारों स्कूल बसों को एंबुलेंस में तब्दील कर सकता था लेकिन, उसने यह भी नहीं किया। लगातार धार्मिक और सांस्कृतिक शिविर लगाने वाले संघ ने चिकित्सा और औषधि शिविर लगा सकता था पर नहीं लगाए।

अभी कुछ महीने पहले ही संघ के लोग गांव गांव घूमकर मंदिर निर्माण के लिए चंदा वसूल रहे थे। आपदा में ये लोग उन्हीं गांवों में जाकर बीमार लोगों को जांच या इलाज के लिए अस्पताल भिजवा सकते थे, किंतु नहीं गए।

आरएसएस के पास सेवा भारती, आरोग्य भारती, विज्ञान भारती, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, अभा विद्यार्थी परिषद, हिंदू जागरण मंच इत्यादि 36 आनुषंगिक संगठन और सौ से अधिक अन्य सहयोगी संगठन हैं, लेकिन ये सब कहां थे? जब देशवासियों को सेवा की जरुरत पड़ी तो ये सब नदारत दिखे।

इन संगठनों ने मरीजों और उनके परिजनों की मदद क्यों नहीं की? एम्स आदि अस्पतालों के स्वास्थ्यकर्मी सरकारी उपेक्षाओं के बावजूद कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे थे। तो क्या संघ के स्वयंसेवक संक्रमण के डर से भाग खड़े हुए?

किसान आंदोलन के कारण खालिस्तानी और आतंकवादी क़रार दिए गए सिक्खों ने कोरोना आपदा में लोगों की भरपूर मदद की। खाने का लंगर लगाने वाले सिक्खों ने इस बार ऑक्सीजन के लंगर लगाए। ख़बर मिलते ही वे खुद जाकर मरीज़ों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँचा रहे थे। उन्होंने अपने गुरुद्वारों की धर्मशालाओं को अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर में तब्दील किया। मुफ्त में दवाइयाँ और प्लाज्मा उपलब्ध कराए।

इसी तरह से मुसलमानों ने पिछले एक साल में अपनी तमाम मस्जिदों को सेनीटाइज करके आइसोलेशन सेंटर में तब्दील किया। उनमें बिस्तर लगाए। बेबस और लाचार लोगों को खाना पानी दिया। कुछ जगहों पर अस्पताल भी बनाए। बड़े पैमाने पर प्लाज्मा देने के लिए मुस्लिम निकलकर आए। इतना ही नहीं, जब किसी के अपने उपलब्ध नहीं थे तो मुसलमानों ने हिन्दू अर्थियों को कंधा भी दिया। संक्रमण की परवाह किए बिना कई हिन्दू शवों का मुसलमानों ने अंतिम संस्कार किया।

फ़ोटो साभार : फ़ेसबुक

जबकि संघ की संस्कार भारती तब भी कथित तौर पर गायब है, जब यूपी में गंगा के किनारे हजारों लाशें दफनाई जा रही हैं। संघियों पर आरोप है कि आगे आकर इन शवों का हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार क्यों नहीं किया? ताज्जुब यह है कि संघ के आनुषंगिक संगठन संस्कार भारती का प्रांतीय कार्यालय यूपी की राजधानी लखनऊ में है। संस्कार भारती की स्थापना भी लखनऊ में ही हुई थी। यहाँ इन्हें उन्नाव के बक्सर घाट पर कुत्तों द्वारा नोची जा रहीं और दफनाई गईं लाशें नहीं दिखाई दे रही हैं।

हिन्दू धर्म के रक्षक और स्वघोषित ठेकेदार ना हिन्दुओं का जीवन बचाने के लिए आगे आए और ना हिन्दू संस्कारों की रक्षा कर सके। क्या यह हिन्दू धर्म का अपमान नहीं है? अब हिन्दू धर्म ख़तरे में क्यों नहीं है? हाँ, गंगा के अपवित्र होने की चिंता ज़रूर, उन्हें सता रही है!

कोरोना आपदा से सरकार का निकम्मापन तो उजागर हुआ ही, बल्कि संघ का राष्ट्र सेवा और लोक कल्याण का मुखौटा भी तब उतर गया जब नदियों में बहते और रेत में दफन हजारों लाशों के बाबत संघ प्रमुख ने कहा जो मर गए उन्हें ‘मुक्ति’ मिल गई। संघ प्रचारकों और स्वयंसेवकों ने लोगों के बीच अपनी बहुत सौम्य और प्रेरक छवि बनाई थी। अब यह छवि दरक गई है। इस आपदा में लोगों ने देखा कि भारत भूमि की सेवा करने का दावा करने वाले अब भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related

माफीनामों का ‘वीर’ : विनायक दामोदर सावरकर

Post Views: 122 इस देश के प्रबुद्धजनों का यह परम, पवित्र व अभीष्ट कर्तव्य है कि इन राष्ट्र हंताओं, देश के असली दुश्मनों और समाज की अमन और शांति में पलीता लगाने वाले इन फॉसिस्टों और आमजनविरोधी विचारधारा के पोषक इन क्रूरतम हत्यारों, दंगाइयों को जो आज रामनामी चद्दर ओढे़ हैं, पूरी तरह अनावृत्त करके […]

ओवैसी मीडिया के इतने चहेते क्यों ?

Post Views: 110 मीडिया और सरकार, दोनो के ही द्वारा इन दिनों मुसलमानों का विश्वास जीतने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें सही समय पर बताया जा सके कि उनके सच्चे हमदर्द असदउद्दीन ओवैसी साहब हैं। ● शकील अख्तर असदउद्दीन ओवैसी इस समय मीडिया के सबसे प्रिय नेता बने हुए हैं। उम्मीद है […]

मोदी सरकार कर रही सुरक्षा बलों का राजनीतिकरण!

Post Views: 65 ● अनिल जैन विपक्ष शासित राज्य सरकारों को अस्थिर या परेशान करने के लिए राज्यपाल, चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आदि संस्थाओं और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग तो केंद्र सरकार द्वारा पिछले छह-सात सालों से समय-समय पर किया ही जा रहा है। लेकिन […]

error: Content is protected !!
Designed and Developed by CodesGesture