खापों से बीजेपी को झटका, हर जगह से भगाए जा रहे केंद्रीय मंत्री बालियान!
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का देशव्यापी विरोध शांत होने की बजाय लगातार बढ़ता ही जा रहा है। केंद्र सरकार और बीजेपी द्वारा किसानों को समझाने की हर कोशिश विफल होती जा रही है। इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।
● आलोक शुक्ल
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली के विभिन्न बार्डर्स पर करीब तीन महीने से चल रहा किसानों का आंदोलन अब केंद्र सरकार और बीजेपी के गले की फांस बन गया है। सरकार इस फांस से अपना गला निकालने की जितनी ही कोशिश कर रही है, गला उतना ही फंसता जा रहा है। फन्दा उतना ही कसता जा रहा है।
ताजा मामला केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के विरोध और अपने ही संसदीय क्षेत्र में भगाये जाने का है। बालियान आजकल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर जाटों के बीच नए कृषि कानूनों का बखान करने और उन्हें किसान आंदोलन से विमुख करने के अभियान पर हैं। परन्तु बालियान को अपने इस अभियान में जाटों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गयी पार्टी के जाट नेताओं की बैठक में उन्हें अपने समुदाय में जाकर कृषि क़ानूनों के बारे में प्रचार अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
इस बैठक में दूसरे कई जाट नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्री बालियान भी मौजूद रहे। यद्यपि सभी जाट नेताओं ने शाह के सामने ऐसा करने का वायदा किया था लेकिन जाटों के बीच जिस तरह से किसान आंदोलन के पक्ष में सद्भावना का दरिया बह रहा है, उसके चलते किसी अन्य नेता की अभी तक हिम्मत नहीं हो पायी। लेकिन केंद्रीय पशुपालन मंत्री संजीव बालियान ने अपने संसदीय क्षेत्र में रविवार को मोर्चा खोलने की कोशिश की।
बालियान सबसे पहले लिसाड़ गाँव पहुँचे। यहाँ खाप के चौधरी बापा हरकिशन मलिक के यहाँ डेरा डालने का प्रयास किया। मलिक ने उन्हें फटकारते हुए कहा- ‘खड़ा हो ले। जाके पैले अस्तीफा दे।’ गांव वालों ने केंद्रीय मंत्री को घेर लिया और इस्तीफे की मांग करने लगे। इसके बाद बड़े पैमाने पर ‘किसान एकता ज़िंदाबाद’ और संजीव बालियान मुर्दाबाद के नारे लगने शुरू हो गए। बालियान वहाँ से उठ लिए। इसके बाद लिलौन और भैंसवाल गाँवों में भी उन्हें भीड़ के ज़बरदस्त विरोध के चलते गाँव छोड़ना पड़ा।
सोमवार को केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन राज्यमंत्री ने एक बार फिर खाप पंचायतों का रुख किया। संजीव बालियान सोमवार को अपराह्न अपने संसदीय क्षेत्र मुज़फ्फरनगर के सौरम गाँव में थे। उनके साथ यूपी सरकार के दो मंत्री, स्थानीय भाजपा नेता और कुछ कार्यकर्ता भी पहुंचे थे। चश्मदीदों के अनुसार कल की घटना से सबक़ लेकर वह अपने साथ कुछ ‘मसलमैन’ भी ले गए थे।
सौरम गांव में बालियान पहले राजपाल चौधरी के यहाँ तेरहवीं संस्कार में भाग लेने पहुँचे। यहाँ कुछ देर बैठकर वह पूर्व ग्राम प्रधान सुधीर चौधरी के यहाँ पहुँचे। जैसे ही वह पूर्व प्रधान के यहाँ पहुँचे, लोग जमा होने शुरू हो गए और उनकी मुर्दाबादी के नारे लगने लगे। माहौल गरमाता देख कर उनके साथ गए मसलमैनों ने लाठियाँ भांजनी शुरू कर दीं जिसमें 4 लोग घायल हुए। भीड़ इकट्ठी होते देख मंत्री जी वहाँ से निकल लिए। जाते-जाते उनके लोग एक घायल को भी अपने साथ ले गए और गाँव के बाहर खेतों में फेंक गए।

केंद्रीय मंत्री के साथ गए लोगों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों के साथ की गयी भीषण मारपीट के बाद समूचे क्षेत्र में गहरा तनाव फैल गया है। इस घटना के बाद आसपास के गाँवों से बड़े पैमाने पर लोग पंचायत घर में जुटने लगे। जब वहाँ मौजूद लोगों की तादाद बहुत बड़ी हो गयी तो भीड़ सम्बंधित थाना शाहपुर पहुँच गयी और उसने थाना घेर लिया। भीड़ मांग कर रही थी कि ‘केंद्रीय मंत्री और उनके साथ गए गुंडों को गिरफ्तार किया जाए।’ करीब पांच घंटे घेराव के बाद पुलिस ने घोषणा की कि ग्रामीणों की एफ़आईआर दर्ज कर ली गयी है, तब भीड़ छँटी और वरिष्ठ अधिकारीगण इन किसानों के नेताओं के साथ वार्ता में जुट गए।
थाने का घेराव करने वाली भीड़ का नेतृत्व कर रहे मुज़फ्फरनगर के पूर्व सांसद हरेंद्र मालिक ने कहा कि ‘हमने अधिकारियों से कह दिया है कि हमलोग 26 फ़रवरी तक कार्रवाई और परिणामों की प्रतीक्षा करेंगे नहीं तो दोबारा थाना घेरा जायेगा।
इसके पहले हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी किसान सम्मेलनों के जरिए इन कृषि कानूनों को विषय में किसानों को समझाने का अभियान आरंभ किया था जो किसानों के भारी विरोध के चलते खत्म करना पड़ा था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को अपने ही विधानसभा क्षेत्र में किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों ने सीएम के कार्यक्रम में जमकर हंगामा किया और मंच तोड़ दिया। जिससे खट्टर को अपना यह अभियान रोक देना पड़ा। इसके बाद बीजेपी ने दूसरे राज्यों में भी किसान सम्मेलन आयोजित करने की अपनी योजना टाल दी थी।

खाप पंचायतों में ‘सौरम’ का महत्व
‘खाप पंचायत’ की सामाजिक सियासत में सौरम एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जो प्राचीन राजा हर्षवर्धन द्वारा स्थापित खाप पंचायतों के समय से मुख्यालय के रूप में स्थापित है। आज भी यह 4 प्रदेशों (पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब) की सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि सौरम में होने वाली हिंसा का अर्थ है केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और बीजेपी के विरुद्ध बहुत दूर तक संदेश जाना। यहां हुई मारपीट की घटना सोशल मीडिया के जरिये सभी जगह पहुंच चुकी है और यह बीजेपी को भारी पड़ सकती है।
सौरम का स्थान खाप पंचायतों में ‘मक्का मदीना’ सरीखा है। वहाँ जाकर हमला करना और लोगों को ज़ख़्मी कर देने की घटना की मंत्री और बीजेपी विरोध में दूरगामी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है।

सवाल यह है कि अगर सोरम जैसी घटना दूसरी जगहों पर भी होती है तो क्या होगा। ऐसी घटना होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों ने कई गांवों में ‘बीजेपी नेताओं का आना मना है’, लिखे पोस्टर लगाए हैं। हरियाणा के कैमला में तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तक का कार्यक्रम किसानों ने नहीं होने दिया था।
किसान आंदोलन के बड़े चेहरे राकेश टिकैत भी मुज़फ्फरनगर से आते हैं और संजीव बालियान भी। जब केंद्रीय मंत्री का इतना जोरदार विरोध हो सकता है तो बीजेपी के बाक़ी नेताओं-कार्यकर्ताओं को तो और जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जब लोग आमने-सामने आएंगे तो निश्चित रूप से इलाक़े में तनाव बढ़ेगा।