घोटालों और कानून व्यवस्था को लेकर प्रदेश कांग्रेस का योगी सरकार पर हमला

● विवेक श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि योगी सरकार का वर्ष 2020 का कार्यकाल भ्रष्टाचार, घोटाला, ध्वस्त कानून व्यवस्था, महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, गौशालाओं में गौ माताओं की मौतें, किसानों की आत्महत्याएं, उत्पीड़न आदि के लिए जाना जाएगा। इसके अलावा हाथरस, लखीमपुर, गोरखपुर, कानपुर, कौशाम्बी, मेरठ, बलरामपुर, भदोही, आजमगढ़, फतेहपुर, अलीगढ़, बुलन्दशहर, मथुरा आदि जनपदों में साधुओं की हत्याएं, रेप, हत्या की वीभत्स घटनाएं भी योगी सरकार की एक वर्ष की उपलब्धियां हैं।

गुरुवार को एक बयान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि जीरो टालरेन्स की बात करने वाली योगी सरकार में भ्रष्टाचार और घोटालों में बाढ़-सी आ गयी। घोटाले में भी सरकार के लिए यह वर्ष उपलब्धियों भरा रहा है। 69हजार शिक्षक भर्ती घोटाला, डीएचएफएल घोटाला, होमगार्ड वेतन घोटाला, पीपीई किट घोटाला, स्वेटर, जूता, मोजा घोटाला, पशुपालन विभाग घोटाला, स्मार्ट मीटर रीडिंग घोटाला, लखनऊ विकास प्राधिकरण घोटाला, बांदा में चारा घोटाला, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत अल्पसंख्यक कल्याण योजना के तहत पेयजल और सीवर लाइन के निर्माण में घोटाला, लोकसेवा आयोग 2018 का पेपर लीक घोटाला, पंचायती राज विभाग में परफार्मेन्ट ग्रान्ट घोटाला, यमुना एक्सप्रेस वे घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला, इन ब्लाक मोबाइल घोटाला आदि घोटाले मुख्यमंत्री की उपलब्धियां रही हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में प्रतिदिन औसतन आठ महिलाओं के साथ बलात्कार और 30 महिलाओं का अपहरण होता है। पिछले साल के मुकाबले इस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध में 24 प्रतिशत वृद्धि हुई है। -अजय कुमार लल्लू
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जहां तक रोजगार की बात है कोरोना काल के पहले ही बेरोजगारी अपने चरम पर थी। जैसा कि श्रम विभाग के मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में सदन में लिखित जवाब दिया था कि बेरोजगारी दर 2018 के 5.92 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2019 में लगभग दो गुना बढ़कर 9.97 प्रतिशत हो चुकी थी। कोरोना के बाद यह स्थिति और भी भयावह हो गयी।
उन्होंने कहा, लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये 14 लाख प्रतिवर्ष सरकारी नौकरी देने के वादे को पूरा करने में योगी सरकार पूरी तरह विफल साबित हई है। नवम्बर माह में ही केन्द्र के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि कोरोना काल में 39 लाख संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने कहा कि एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार यूपी में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो वर्ष 2011-12 के पांच करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गई है।