दो राहे पर हिन्दुस्तान

Read Time: 3 minutes

हिन्दुस्तान आज एक दोराहे पर खड़ा है। एक ओर साझी संस्कृति का वह रास्ता है जिसे स्वाधीनता संग्राम के शहीदों ने अपनी शहादत से सींचा है तो दूसरी ओर सांप्रदायिकता और धार्मिक उन्माद का वह रास्ता है जिसके तहत युवकों को भ्रमित किया जा रहा है कि दूसरे समुदाय के धर्मस्थल पर कुछ हथौड़े चला लेना ही सबसे बड़ी बहादुरी है। इसमें कोई शक नहीं कि हमें पहले रास्ते पर ही चलना है और गुमराह लोगों को दूसरे रास्ते से वापस लाकर पहले रास्ते पर ले जाना है। इसमें जो मीडिया बड़ी भूमिका निभा सकती है, दुर्भाग्य से उसका एक बड़ा हिस्सा सत्ता की चेरी बन अहमन्यता में डूबा हुआ है। देश के अधिकांश समाचार पत्रों और दिन-रात चलने वाले खबरिया चैनलों में चारणगिरी और नाकारात्मकता की भरमार है। जम्हूरियत का स्वरुप कायम रहे, समाज में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना बलवती हो और जाति-धर्म-सम्प्रदाय के गुटों में बंटने की बजाए लोग राष्ट्रीय एका के लिए काम करें, इसके लिए जरूरी है कि मीडिया अपने हालिया बनाए खांचे से बाहर निकले, सरकार की पक्षकारी त्यागे और राष्ट्र के प्रति अपनी महती भूमिका का निर्वहन निष्पक्षता के साथ करे।
देश इस वक्त गम्भीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। आर्थिक विकास दर जिस तेजी से लुढक़कर 5 प्रतिशत पर पहुंची है वह सत्तर साल में पहली बार दिखा है। इन सत्तर सालों में पहली बार ही यह भी हुआ है कि किसी सरकार ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया के सुरक्षित निधि से रुपया निकाला हो।
उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में कमी से उत्पादन गिर रहा है। कल-कारखाने बन्दी की कगार पर हैं, रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं। यह विकट स्थिति है। ऊपर चढ़ते हुए गिरना कोई बड़ी बात नहीं है। गिरना और उठ खड़े होना, फिर चढऩा जीव का स्वभाव है। लेकिन, यहां सरकार गिरकर भी कुछ सीखने को तैयार नहीं दिखती। यह भी पहली बार ही हो रहा है। इस कठिन समय में सरकार को देश का ध्यान कहीं अन्यत्र बंटाने की जगह पक्ष-विपक्ष के सभी योग्य अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों की मदद लेकर अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने का उपाय करना चाहिए।
देश में माब लिन्चिंग की घटनाओं में बढ़ोत्तरी चिंता बढ़ाने वाली है। कभी गो रक्षा, धर्म-सम्प्रदाय, राष्ट्रवाद तो कभी बच्चा चोरी के नाम पर लोग मारे जा रहे हैं। भीड़ द्वारा मारा जाने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दुस्तानी है। मारने वाला भी हिन्दुस्तानी ही है। फिर यह क्यों हो रहा है? कौन लोग हैं जो इस घातक प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं? आगे चलकर इसके असर क्या होंगे? इसपर विचार किया जाना चाहिए। सवाल है, कौन करेगा विचार, जब कुछ जिम्मेदार लोग ही माब लिन्चिंग के आरोपियों के महिमामंडन में लगे हों। सरकार को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी, अपने सहयोगियों पर अंकुश लगाना होगा, नागरिकों की रक्षा उसका प्रथम कर्तव्य है। समाज के उन लोगों को भी, जो स्वयं को जागरुक समझते हैं और जिन्हें देश-समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी का भान है, को आगे बढक़र इसके रोकथाम के उपायों पर काम करने की जरुरत है।
अन्त में, ‘पूर्वा स्टार’ ने ‘बाजारवाद से समझौता न करने और सत्ता की चारणगिरी से दूर रहने’ की अपनी पुरानी नीति पर बदस्तूर कायम रहने के साथ ही राष्ट्रीय वैचारिकी को पुष्ट करने की मुहिम चलाने की ओर कदम बढ़ाया है। विश्वास है कि हम आपके भरोसे को हमेशा बनाए रहेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related

हमें उन्माद से बाहर निकलना होगा

Post Views: 331 आपको सिखाया जा रहा है कि भारतीय राष्ट्र पर भरोसा मत कीजिए। किसी कठमुल्ले पर भरोसा कीजिए। आईएसआईएस और तालिबान भी अपने लोगों को ऐसे ही बरगलाता है कि हमारे धर्म पर खतरा है, हथियार उठा । डर फैलाने वाले भारतीयता के दुश्मन हैं। वे आपको बता रहे हैं कि देश की […]

मंदी और नेहरूफोबिया

Post Views: 191 हालिया वर्षों में ऐसा क्या हो गया कि कुछ साल पहले तक तकनीक में आगे बढऩे के सपने देखने वाला युवा अब गोबर और गोमूत्र के सहारे विश्वगुरू बनने के सपने देखते हुए हर फेक न्यूज़ पर यकीन कर रहा है। वह इस कदर दिग्भ्रमित कैसे हो गया? क्या होगा आनेवाले सालों […]

‘गांधी’ से संवाद करिए…

Post Views: 168 सत्य, अहिंसा और प्रेम नामक अस्त्र का प्रयोग वही कर सकता है जो निर्भय हो, निस्वार्थ हो। गांधी ने 1917 में चम्पारण से 30 जनवरी 1948, बिड़ला भवन तक अपने कार्यों से, जीवनचर्या से ये दोनों बातें स्थापित कीं। गांधी के आन्दोलन में न कहीं लाठी चली न बन्दूक, न किसी को […]

error: Content is protected !!
Designed and Developed by CodesGesture